डॉक्टरों का कहना है गैर संचारी रोग की जांच शिविर में कैंसर के लक्षण वाले मरीज भी आते हैं। हमारे जिले में दो तरह के कैंसर को रोगी अधिक बढ़ रहे हैं। लोग तंबाखू का खूब सेवन करते हैं। ऐसे लोग मुंह के कैंसर के शिकार हो रहे हैं। खाना खाने में व पानी गुटकने में परेशानी की शिकायत लेकर आने वालों को तत्काल जांच की सलाह दी जाती है। चूंकि हमारे जिले में सरकारी अस्पताल में कैंसर यूनिट ही नहीं है।
डाक्टरों के मुताबिक शरीर में कोशिकाओं के समूह की अनियंत्रित वृद्धि कैंसर है। जब ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती हैं तो कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। यदि कैंसर का सही समय पर पता ना लगाया गया और उसका उपचार ना ह तो इससे मौत का जोखिम बढ़ सकता है। कैंसर के कई प्रकार हैं या यूं कहें कि कैंसर के सौ से भी अधिक रूप है। जैसे- स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्रेन कैंसर, बोन कैंसर, ब्लैडर कैंसर, गले का कैंसर इत्यादि।
जिला अस्पताल में कैंसर पीडि़तों के प्राथमिक जांच तक की सुवधिा नहीं है। यह सुविधा उपलब्ध कराने की मांग कई साल से की जा रही है। यह सुविधा नहीं होने के कारण कमजोर तबके को लोगों को परेशान उठानी पड़ती है। उन्हें रायपुर जाना पड़ता है।
सबसे अधिक दिक्कत ह्दय रोग से पीडि़तों की है। जानकारी के मुताबिक हर रोज औसतन तीन मरीज इलाज के लिए जिला अस्पताल आते हैं। यहां एक भी कार्डियक स्पेशलिस्ट नहीं है। जिसके कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है। क्योंकि अन्य चिकित्सक विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह देते हैं। जिला अस्पताल पहले ३५० बिस्तर का था।
आमतौर पर हृदय रोगियों को प्राथमिक उपचार देने बतौर विशेषज्ञ एमडी मेडिसीन की अनिवार्य है। वर्ष 2011 की गणना के अनुसार जिले की आबादी 18 लाख है। इस आबादी के लिए जिले में 1 जिला अस्पताल, एक सिविल अस्पताल, 8 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 127 उपस्वास्थ्य केन्द्र और 100 शहरी सुविधा केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। जिसमें से सिर्फ जिला अस्पताल में ही दो एमडी मेडिसीन है। जिनमें से डॉ. केके जैन सिविल सर्जन होने के कारण प्रशासनिक व्यवस्था में व्यस्त रहते हैं।
जिला अस्पताल में आईसीयू के नाम पर एसी हाल है। जहां कुछ बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। यह वार्ड अधिकारियों के आराम करने की जगह बन कर रहा गया है। मरीज नहीं होने पर यहां आमतौर पर अधिकारी व कर्मचारी लंच करते हैं। जीवनदायनी मानी जानी वाली वेंटीलेटर मशीन भी इस वेटिंग हाल में शो पीस की तरह रखा हुआ है।
तीन वर्ष पहले जिला अस्पताल के आइसीयू को कार्डियक यूनिट बनाने शासन ने 50 लाख की राशि स्वीकृत की थी। इस राशी का उपयोग मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग कार्यालय के माध्यम से खर्च करना था। अधिकारियों द्वारा कार्डियक यूनिट तैयार करने में रुचि नहीं दिखाने पर राशि को शासन ने वापस ले लिया।