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दुर्ग

Durg Politics – जानिए….ऐसा क्या हुआ कि बैठक के बीच कुर्सी छोड़कर फर्श पर बैठ गया जिला पंचायत सदस्य

15वें वित्त आयोग की राशि को लेकर जिला पंचायत के सामान्य सभा में जमकर बवाल मचा। सत्तापक्ष पर आरोप है कि उन्होंने बहुमत का फायदा उठाकर प्रस्ताव व अनुमोदन के बाद भी विपक्षी सदस्यों के क्षेत्र की राशि अपने क्षेत्र में बांट लिया। इसे लेकर करीब घंटेभर शोर-शराबा के बाद भी हल नहीं निकला तो विपक्षी सदस्य जितेंद्र साहू सदन में ही धरने पर बैठ गए। बाद में संशोधन के प्रस्ताव पर मामला शांत हुआ।

दुर्गNov 12, 2021 / 09:09 pm

Hemant Kapoor

Durg Politics - जानिए....ऐसा क्या हुआ कि बैठक के बीच कुर्सी छोड़कर फर्श पर बैठ गया जिला पंचायत सदस्य

बैठक के दौरान जिला पंचायत सदस्य फर्श पर बैठ गया

दुर्ग. सामान्य सभा की बैठक जिला पंचायत के सभागार में हुई। बैठक में आधा दर्जन एजेंडों पर चर्चा होना था, लेकिन बैठक शुरू होते हुए सदस्य जितेंद्र साहू ने 15वें वित्त आयोग की राशि स्वीकृति में कथित गड़बड़ी का मामला उठा दिया। सदस्य जितेंद्र साहू का कहना था कि जिला पंचायत को मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 15वें वित्त आयोग से 3 करोड़ 28 लाख 52 हजार रुपए उपलब्ध कराई गई है। इस राशि से जिला पंचायत के अधीन आने वाले ग्राम पंचायतों में निर्माण व विकास कार्य किए जाने है। पूर्व बैठक में सभी 12 सदस्यों के क्षेत्र में बराबर-बराबर राशि वितरित करने का फैसला हुआ था। इसी के आधार पर प्रस्ताव मांगा गया था। इस पर उन्होंने भी अपने क्षेत्र के लिए 37 लाख के कामों का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव पर जिला पंचायत में अनुमोदन हो गया था।

सत्ताधारी पार्षद के क्षेत्र में राशि
सदस्य जितेंद्र साहू का आरोप था कि सत्तापक्ष ने उसके हिस्से की राशि नियम विरूद्ध काटकर कांग्रेस समर्थित सदस्य शमशीर कुरैशी के क्षेत्र के कार्यों के लिए दे दिया है। जबकि अनुमोदन के बाद 6 माह तक प्रस्ताव बदला नहीं जा सकता। उन्होंने उक्त राशि उनके क्षेत्र के लिए लौटाने की मांग रखी। इस पर भाजपा समर्थित मोनू साहू व अन्य सदस्य भी जितेंद्र साहू की मांग के समर्थन में आ गए।

सीईओ ने संभाला मामला
इस मामले को लेकर करीब एक घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से शोर-शराबा चलता रहा। करीब घंटेभर बाद सदस्य जितेंद्र साहू धरने पर बैठ गए। उनके समर्थन में भाजपा के दूसरे सदस्य भी सामने आ गए। अंतत: मामला बिगड़ता देख सीईओ अश्विनी देवांगन को हस्तक्षेप करना पड़ा और कार्यों में सशोधन के प्रस्ताव पर सहमति के बाद मामला खत्म हुआ।

मंत्री के खिलाफत का खामियाजा
मामले को लेकर वाद-विवाद के दौरान सत्तापक्ष की ओर से सदस्य जितेंद्र साहू के कोटे के काम में कटौती के लिए अजीब जवाब सामने आया। सत्तापक्ष के सदस्यों ने खुलासा किया कि चूंकि जितेंद्र साहू अपने क्षेत्र में मंत्री के खिलाफ बोलते रहते हैं, इसलिए मंत्री के कहने पर काम में कटौती कर कांग्रेस के सदस्य को दी गई है।

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