सत्ताधारी पार्षद के क्षेत्र में राशि
सदस्य जितेंद्र साहू का आरोप था कि सत्तापक्ष ने उसके हिस्से की राशि नियम विरूद्ध काटकर कांग्रेस समर्थित सदस्य शमशीर कुरैशी के क्षेत्र के कार्यों के लिए दे दिया है। जबकि अनुमोदन के बाद 6 माह तक प्रस्ताव बदला नहीं जा सकता। उन्होंने उक्त राशि उनके क्षेत्र के लिए लौटाने की मांग रखी। इस पर भाजपा समर्थित मोनू साहू व अन्य सदस्य भी जितेंद्र साहू की मांग के समर्थन में आ गए।
सीईओ ने संभाला मामला
इस मामले को लेकर करीब एक घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से शोर-शराबा चलता रहा। करीब घंटेभर बाद सदस्य जितेंद्र साहू धरने पर बैठ गए। उनके समर्थन में भाजपा के दूसरे सदस्य भी सामने आ गए। अंतत: मामला बिगड़ता देख सीईओ अश्विनी देवांगन को हस्तक्षेप करना पड़ा और कार्यों में सशोधन के प्रस्ताव पर सहमति के बाद मामला खत्म हुआ।
मंत्री के खिलाफत का खामियाजा
मामले को लेकर वाद-विवाद के दौरान सत्तापक्ष की ओर से सदस्य जितेंद्र साहू के कोटे के काम में कटौती के लिए अजीब जवाब सामने आया। सत्तापक्ष के सदस्यों ने खुलासा किया कि चूंकि जितेंद्र साहू अपने क्षेत्र में मंत्री के खिलाफ बोलते रहते हैं, इसलिए मंत्री के कहने पर काम में कटौती कर कांग्रेस के सदस्य को दी गई है।