1.शास्त्रों में नींद को लेकर कहा गया है कि ‘दिवास्वापं च वर्जयेत्’ जिसका मतलब है कि दिन में सोना शास्त्रों के हिसाब से वर्जित है। 2.वहीं जरूरतमंद जैसे कि छोटे बच्चे, बीमार व्यक्ति, बुजुर्ग व्यक्ति दिन में सो सकते हैं। इन लोगों को शास्त्रों में दिन में सोने की छूट दी गई है।
3.स्वस्थ व्यक्ति के लिए दिन में सोना उसकी बर्बादी को निमंंत्रण देता है। उसके जीवन की स्थिति खराब रहती हैं और ऐसा व्यक्ति हर समय परेशान रहता है। 4.शास्त्रों में दिन के ऐसे कुछ खास समय बताए गए हैं जिस समय सोने से अपशकुन माना जाता है। सूर्योदय के बाद सोना अपशकुन माना जाता है साथ ही इस समय सोना आपके स्वास्थ को भी प्रभावित करता है।
5.सूर्योदय से पहले उठने के बाद खुली हवा में घूमना सेहत के लिहाज से भी बेहद अच्छा माना जाता है। साथ ही इस समय उठने से घर में बरकत रहती है। 6.दिन में दोपहर से लेकर संध्या काल तक का समय शास्त्रों के हिसाब से सोने के लिए तो अशुभ है ही वहीं यह आपको स्वास्थय संबंधि बीमारियां भी दे सकता है।
7.दोपहर या शाम के समय सोने से आपको पेट संबंधि बीमारियां घेर लेती हैं और हर समय मन में अशांति रहती है। 8.दोपहर या शाम के समय सोना आपकी मांसिक शक्तियों को कमजोर करता है, शरीर में आलस, सुस्ति रहती है जिनके कारण बीमारियों का प्रभाव ज्यादा होता है।
शास्त्रों में इसलिए वर्जित है दोपहर या सांय काल को सोना 9.शास्त्रों में कहा गया है कि दोपहर या संध्या काल के समय सभी देवी-देवता धरती पर ही रहते हैं और इस समय सोने वाले लोग देवी- देवताओं के आशिर्वाद से वंचित रह जाते हैं।
10.संध्या के समय घर में पूजा पाठ और भगवान का भजन करना चाहिए इससे आपके घर का दुर्भाग्य दूर होता है और साथ ही स्वास्थ पर भी इसका अच्छा परिणाम मिलता है।