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नील आर्मस्ट्रांग के चांद पर कदम रखने से पहले ही हो गया था ये हादसा, जानें अपोलो मिशन से जुड़ी ये 10 खास बातें

Apollo 11 mission anniversary : चांद पर उतरते समय यान में 40 सेकेंड से भी कम ईंधन बचा था
चांद पर लैंडिंग के दृश्य को कैद करने के लिए एल्ड्रिन ने वीडियो रिकॉर्डिंग की थी

Jul 22, 2019 / 12:31 pm

Soma Roy

moon landing
नई दिल्ली। चांद पर किसी इंसान के पहली बार कदम रखने के पचास साल पूरे होने की खुशी में पिछले हफ्ते एक जश्न का आयोजन किया गया था। इस मौके पर नील आर्मस्ट्रांग ( Neil Armstrong ) के चांद पर पहुंचने और वहां होने वाली घटनाओं की अनदेखी फुटेज जारी की गई। इसमें बताया गया कि कैसे यान के लैंड होने से पहले ही इसका संतुलन बिगड़ गया था। ऐसे में नीलआर्म ने अपनी समझदारी से मिशन अपोलो 11 को कामयाब बनाया। तो क्या था ये मिशन और किन चीजों की वजह से ये बना खास आइए जानते हैं।
Neil armstrong
1.एक अंग्रेजी फिल्म प्रोडक्शन हाउस की ओर से जारी किए गए फुटेज में दिखाया गया कि चांद पर किसी इंसान के पहुंचने का वो नायाब दिन 20 जुलाई 1969 का था। इस मिशन को अपोलो 11 नाम दिया गया था। चांद पर किसी को भेजने की इच्छा सबसे पहले सन् 1961 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने जताई थी।
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2.चांद पर इंसान को भेजने के अपने मिशन को कामयाब बनाने के लिए जॉन एफ ने यॉर्क स्पेस सिस्टम के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन चाल्र्स बीम्स के साथ एक गुप्त योजना बनाई थी। इसके तहत एक टीम बनाई गई और उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी।
3.इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी नील आर्मस्ट्रांग समेत उनकी टीम को दी गई। नील आर्मस्ट्रांग के बयान के मुताबिक अपोलो 11 मिशन को पूरा करने से पहले वो कई बार फ्लाइट लैडिंग का काम कर चुके थे। 6 मई 1968 को उन्होंने हाउस्टन एयर फोर्स बेस से लूनर लैंडिंग रिसर्च वेहिकल 1 की उड़ान भरी थी।
4.नील आर्मस्ट्रांग के उड़ाने भरने के पांच मिनट के अंदर ही यान से उनका नियंत्रण खो गया था। बताया जाता है कि हीलियम प्रेशर के कम होने के चलते संतुलन बिगड़ा था। ऐसे में उन्होंने जैसे-तैसे खुद और अपने साथी की सुरक्षित लैडिंग कराई थी।
5.नील आर्मस्ट्रांग के मुताबिक व्हीकल 1 की उड़ान से मिला ये सबक मिशन अपोलो 11 को पूरा करने में काम आया। इसी के चलते उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया था।

space in moon
6.अपोलो मिशन को 16 जुलाई 1969 में केनेडी स्पेस सेंटर से लांच किया गया था। उस दौरान उपकरण नियंत्रण की जिम्मेदारी 28 वर्षीय महिला जोहान मोर्गन को दी गई थी। वो इकलौती ऐसी महिला थीं जिन्हें नासा के फायरिंग रूम में जाने की अनुमति मिली थी।
7.अपोलो मिशन को कामयाब बनाने में एक अन्य महिला ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका नाम मार्गरेट हैमिल्टन था। उन्होंने नासा के इस मिशन के लिए आनबोर्ड कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया था। इसी के जरिए एस्ट्रोनॉट्स यान को नियंत्रित कर रहे थे। साथ ही उन्हें नासा की ओर से अहम सुझाव दिए जा रहे थे।
8.डाक्यूमेंट्री के मुताबिक नील आर्मस्ट्रांग, एल्ड्रिन और कोलिन्स ने मिलकर चांद पर पहुंचने के लिए करीब दो लाख चालीस हजार मील का सफर तय किया। इसमें उन्हें 76 घंटों का वक्त लगा।

9.बताया जाता है कि चांद पर कदम रखने से पहले यान कम ईधन होने की दिक्कत से गुजर रहा था। ऐसे में चांद की सतह पर यान को लैंड कराना खतरनाक था। मगर नील आर्मस्ट्रांग ने भरोसा जताते हुए इसकी सुरक्षित लैंडिंग कराई और हैरानी वाली बात तो यह है कि यान के चांद पर उतरते समय यान में 40 सेकेंड से भी कम समय का ईंधन बचा हुआ था।
10.चांद पर पहुंचने के वक्त कैसा नजारा था ये दुनिया को दिखाने के लिए इसकी वीडियो रिकॉर्डिं की गई थी। मजेदार बात यह है कि इसे यान को कंट्रोल करने वाले एल्ड्रिन ने ही फिल्माया था। लैंडिंग की ये तस्वीरें और वीडियो पहले आम लोगों ने नहीं देखी थीं। मगर मिशन के 50 साल पूरे होने के मौके पर चुनिंदा वीडियों और फोटोज को जारी किया गया।

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