1- मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) का जन्मपंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव (अमृतसर के पास) में 24 दिसंबर 1924 को एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। 2- रफी को बचपन से ही गाने का शौख था। एक बार एक फकीर ने अपने गीतों के साथ मोहित किया था। उसके बाद से ही नन्हें रफ़ी ने सकी तरह गाने का प्रयास करने लगे।
3- मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) फिल्म इंडस्ट्री में अपने मृदु स्वाभाव के कारण जाने जाते थे लेकिन एक बार उनकी स्वर कोकिल लता मंगेश्कर के साथ अनबन हो गई थी। मोहम्मद रफी ने लता मंगेशकर के साथ सैकड़ों गीत गाए थे लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब रफी ने लता से बातचीत तक करनी बंद कर दी थी। लता मंगेशकर गानों पर रॉयल्टी की पक्षधर थीं जबकि रफी ने कभी भी रॉयल्टी की मांग नहीं की। रफी साहब मानते थे कि एक बार जब निर्माताओं ने गाने के पैसे दे दिए तो फिर रॉयल्टी किस बात की मांगी जाए।
4- लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में रफी साहब के बारे में कहा था कि ‘ रफी साहब सुरीले होने के साथ बेहद सरल इंसान भी थे। ये मेरी खुस्किस्मती है कि मैंने उनके साथ सबसे ज्यादा गाने गाए।
5- रफी साहब धर्म मजहब से पहले इंसानियत को अहम मानते थे। रफी साहब ने केवल प्यार के नगमें ही नहीं गाए उन्होंने कई भजनों को भी अपनी आवाज दी है। 6- रफी साहब को पहला ब्रेक पंजाबी फिल्म गुलबलोच में मिला था। कहा जाता है कि नौशाद और हुस्नलाल भगतराम ने रफी साहब की प्रतिभा को पहचाना और खय्याम साहब ने उनसे फिल्म ‘बीवी’ में गीत गवाए।
7- रफी साहब के बारे में एक दिलचस्प किस्सा है। बताया जाता है कि एक बार एक अपराधी को फांसी दी जा रही थी और इस दौरान जब उससे उसकी अंतिम इच्छा पूछी गयी तो उसने रफी साहब का गाना सुनने की इच्छा जताई थी।
8- उस अपराधी ने रफी साहब का जो गाना सुनने की इच्छा जताई थी वह था फिल्म बैजू बावरा का ‘ऐ दुनिया के रखवाले’। ये वही गाना था जिसके लिए रफी साहब ने 15 दिन तक रियाज किया था। इस गाने को गाते वक्त रफी साहब के गले से खून निकलने लगा था। गाने के दौरान र उनकी आवाज इस कदर टूट गयी थी स्टुडियो में मौजूद लोगों को लगा शायद अब रफी साहब अपनी आवाज भी खो देंगे।
9- मोहम्मद रफी का आखिरी गीत फिल्म ‘आस पास’ के लिए था, जो उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए अपने निधन से ठीक दो दिन पहले रिकॉर्ड किया था, गीत के बोल थे ‘शाम फिर क्यों उदास है दोस्त।
10- मोहम्मद रफी का जब निधन हुआ उस दिन मुंबई में जोरों की बारिश हो रही थी और फिर भी अंतिम यात्रा के लिए कम से कम 10000 लोग सड़कों पर थे और उस दिन मशहूर एक्टर मनोज कुमार ने कहा, ‘सुरों की मां सरस्वती भी अपने आंसू बहा रही हैं आज’।