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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षा नीतियों में बदलाव का निर्णय लिया। इसके तहत उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए 400 करोड़ रुपए का बजट पास किया। मगर इसके अलावा उन्होंने युवाओं के रोजगार के लिए किसी तरह के कदम नहीं उठाए हैं।
2.स्टेट ऑफ इंडिया इंवायरमेंट की साल 2019 के रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में भारत में बेरोजगारी के दर में इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 अप्रैल से 2019 के बीच बेरोजगार लोगों की संख्या में करीब 7ण्6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऐसे में देश की युवा पीढ़ी आम बजट में नए रोजगार मिलने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन इस बार उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
3.बजट से युवाओं को एजुकेशनल लोन में छूट मिलने की भी उम्मीद थी। मगर इस मामले में भी कोई फैसला नहीं लिया गया है। बता दें कि अभी भारत में पढ़ाई के लिए करीब 4 से साढ़े सात लाख रुपए का लोन मिलता है। जबकि लगतार महंगी होती एजुकेशन सिस्टम में ये रकम छात्रों के लिए पर्याप्त नहीं है।
4.इस साल के आम बजट में किताबों के रेट भी महंगे कर दिए हैं। इसके तहत विदेश से मंगाई जाने वाली किताबों के लिए छात्रों को पहले से ज्यादा रेट चुकाने होंगे। ऐसे में स्टूडेंट्स को बेहतर एजुकेशन पाने के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ेगी।
5.वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में टैक्स स्लैब में ज्यादा बदलाव नहीं किए है। उन्होंने महज ज्यादा कमाई वालों पर अतिरिक्त सरचार्ज लगाकर बहीखाते को बैलेंस करने की कोशिश की है। मगर हकीकत में देखा जाए तो इस बजट से महिलाओं के हाथ भी कुछ नहीं आया है। जो महिलाएं नौकरीपेशा है उन्हें टैक्स स्लैब में छूट दिए जाने की उम्मीद थी। मगर साल 2019 के आम बजट में उनके लिए ऐसा कुछ नही है।
6.साल 2019 के आम बजट में गृहणियों को राहत देने के लिए घरेलू सामानों के दाम कम किए गए हैं। इससे उनका महीने का बजट थोड़ा ठीक रहेगा, लेकिन महिलाओं को निर्मला सीतारमण से उनके सशक्तीकरण के लिए उठाए जाने वाले कदम की उम्मीद थी क्योंकि वो खुद एक महिला हैं। मगर बजट में महिलाओं के लिए कोई विशेष लाभ देने का कोई ऐलान नहीं किया गया है।
7.सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर एक-एक रुपये रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस लगाने का ऐलान किया गया है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ जाएगा। चूंकि भारत में जॉब करने वालों में से युवाओं की संख्या ज्यादा है। ऐसे में उन्हें आने—जाने के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
9.ज्यादातर महिलाएं बुरे समय के लिए सोने—चांदी के गहने बनवाकर रखती हैं। तो वहीं कई लोग इसे सेविंग के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। मगर बजट में इनकी कीमतों में किए गए इजाफे से महिलाओं के सेविंग्स पर असर पड़ सकता है।
10.महिलाओं को सबल बनाने के लिए भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। क्योंकि बहुत सी महिलाएं सिंगल मदर बनकर परिवार का भरण पोषण कर रही हैं, ऐसे में उनके रोजगार या अन्य योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया गया है।