1.गाजियाबाद के नूरपूर गांव में जन्मे चौधरी चरण सिंह बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के रहे हैं। देश के लिए कुछ करने की ललक उनमें बचपन से ही थी। तभी उन्होंने किसानों के लिए सबसे पहले अपनी आवाज बुलंद की थी। उन्होंने किसानों का हक दिलाने के लिए कई आंदोलन किए थे।
2.देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के लिए भी चौधरी चरण सिंह ने कई लड़ाईयां लड़ी थीं। उन्होंने साल 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के ‘पूर्ण स्वराज्य’ उद्घोष से प्रभावित होकर गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया था।
3.चौधरी चरण सिंह ने बतौर स्वतंत्रता सेनानी भी देश के प्रति अपना योगदान दिया है। उन्होंने साल 1930 में महात्मा गांधी के चलाए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होकर नमक कानून तोड़ने को डांडी मार्च किया।
4.इसक अलावा उन्होंने गाजियाबाद के हिंडन नदी पर भी नमक बनाने का कार्य किया। मगर अंग्रेजी हुकूमत से उनकी लड़ाई के चलते उन्हें जेल में डाल दिया गया। उन्हें करीब 6 महीने की सजा हुई। मगर जेल से रिहा होने के बाद वे दोबारा महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन से जुड़ गए थे।
5.चूंकि चौधरी चरण सिंह शुरू से ही विद्रोही प्रकृति के रहे हैं, उन्हें गलत बात बर्दाश्त करने की आदत नहीं थी, इसलिए वे सत्याग्रह आंदोलन से जुड़े रहे। मगर उनके ये तेवर अंग्रेजों का पसंद नहीं आए, इसलिए उन्होंने साल 1940 में उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया।
6.कई बार जेल जाने के बावजूद भी चौधरी चरण सिंह ने हार नहीं मानी और 9 अगस्त, 1942 को गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। उनके इस कदम को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गोली मारने का आदेश दे दिया था।
7.पुलिस को चकमा देकर चौधरी चरण सिंह अक्सर जन सभाएं किया करते थे, लेकिन एक दिन वे अंग्रेजी हुकूमत के हाथ लग गए। तब उन्हें दोबारा जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। उन्हें करीब डेढ़ साल की सजा दी गई।
8.जेल के अंदर भी चौधरी चरण सिंह का ब्रिटिशर्स के खिलाफ आंदोलन नहीं थमा। अब उन्होंने किताब के जरिए उनसे बदला लेने का फैसला लिया। उन्होंने इसमें ब्रिटिशर्स से न दबने की बात कही। साथ ही भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों के पालन पर भी जोर दिया।
9.उन्होंने गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए एक जुलाई, 1952 को उत्तर प्रदेश में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन किया। 10.चूंकि चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है इसलिए उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को भी पारित कराया। इससे किसानों का कोई नहीं मार सकता।