1.शनि देव का यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के खरसाली गांव में स्थित है। ये एक प्राचीन मंदिर है। 2.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने महाभारत काल के दौरान कराया था। ये मंदिर पत्थर और लकड़ी से बना हुआ है।
3.ये मंदिर कलात्मक दृष्टि से भी बहुत खास है क्योंकि इसमें उम्दा नक्काशी की गई है। साथ ही ये शनि धाम पांच मंजिल का बना हुआ है। 4.इस मंदिर में शनि देव की कांसे की बनी मूर्ति है। जो कि मंदिर के सबसे शीर्ष मंजिल यानि पांचवे मंजिल पर रखी हुई है।
5.शनि देव के इस मंदिर में एक अखंड ज्योति भी है। मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिव्य ज्योति के दर्शन करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। 6.इस मंदिर की खासियत है कि यहां सबसे उपरी मंजिल पर रखें कलश साल में एक बार अपने आप अपनी दिशा बदल लेते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कलश अपनी दिशा से घूम जाते हैं।
7.लोगों को मानना है कि कलश की दिशा बदलने के पीछे शनि देव की महिमा होती है। यूं तो इस शनि धाम में शनि देव सालभर विराजमान रहते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं, लेकिन साल में एक बार वो भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं।
8.मंदिर के पुजारियों के मुताबिक इस शनि मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन कई चमत्कार होते हैं। इस दिन शनि देव प्रकट होते हैं। तभी उनकी महिमा से मंदिर में रखें कलश की दिशा बदल जाती है।
9.एक अन्य प्रचलित घटना के तहत मंदिर में रखें दो फूलदान कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने आप यमुना नदी की ओर खिंचे चले जाते हैं। इसे रोकने के लिए गुलदस्तों को जंजीर से बांधकर रखा जाता है।
10.बताया जाता है कि शनि देव अपनी बहन यमुना से इस दिन मिलने जाते हैं, तभी उनके पीछे-पीछे फूलदान भी आने लगते हैं।