1.बढ़ता प्रदूषण तेज़ी से दुनिया में अस्थमा के मरीज़ों की बढ़ती संख्या का सबसे बड़ा कारण है और लगातार इसके रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
2.यह बीमारी किसी एक उम्र वर्ग पर नहीं बल्कि छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी को प्रभावित कर रही है और इसी के विरोध करने के लिए संपूर्ण विश्व में अस्थमा डे मनाया जाता है।
3.हर बार वर्ल्ड अस्थमा डे के दिन कोई ना कोई नई थीम सोची जाती है और उसी थीम के जरिए इससे बचने का प्रचार-प्रसार किया जाता है इसलिए इस बार इसके लिए “स्टॉप फ़ॉर अस्थमा” थीम रखी गई है।
4.अस्थमा के खतरे के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए देश-विदेश के अलग-अलग स्वास्थ्य संगठन बड़े लेवल पर कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।
5.विश्व अस्थमा रिपोर्ट के साल 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में लगभग 339 मिलियन लोग ऐसे हैं जो अस्थमा से पीड़ित हैं।
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6.इसमें भारतीयों की संख्या करीब 8 फीसदी है जिसमें 6% बच्चे और 2% वयस्क हैं। WHO यानी World Health Organization के मुताबिक भारत में 15-20 मिलियन मामले अस्थमा के हैं।
7.भारतीयों की आबादी के एक बड़े हिस्से को सही स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती हैं इसलिए यह भी कारण है कि यहां अस्थमा के रोगियों की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है।
8.डॉक्टरों के मुताबिक अस्थमा एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें फेफड़ों में वायु जाने का रास्ता संकीर्ण हो जाता है जिससे बलगम ज्यादा आता है और सांस लेने में मुश्किल होती है।
9.अधिकतर लोग अस्थमा को दमे की बीमारी के नाम से जानते हैं और जिन लोगों को ये दिक्कत होती है उन्हे इसके बचाव के तौर पर inhaler का इस्तेमाल करना पड़ता है।
10.अस्थमा से पीड़ित लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए बेहतर उपचार के साथ-साथ सतर्कता और अच्छे वातावरण में रहने की भी जरूरत है।