1.सर्वपितृ अमावस्या अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस बार पितृ अमावस्या 28 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन शनिवार होने के चलते इसका महत्व ज्यादा बढ़ गया है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पूर्वजों के नाम से दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
2.सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पत्तों पर पांच तरह की मिठाइयां रखें। इस दौरान पूर्वजों का ध्यान करें और उन्हें मिठाई और जल चढ़ाएं। इससे पितृ गढ़ प्रसन्न होंगे। 3.तर्पण करने के लिए हाथ में कुश की अंगूठी पहने। इसके बाद सीधे हाथ में जल, जौ और काले तिल लेकर अपना गोत्र बोलें। अब आखिर में इन्हें पितरों को समर्पित करें।
4.तर्पण करते समय जल हमेशा हाथ के अंगूठे के बगल वाली अंगुली से दें। इसके अलावा पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपल जलाएं। इससे पूर्वजें की आत्मा को शांति मिलेगी।
5.शनि अमावस्या के दिन चींटी, कौआ, गाय, कुत्ता, बिल्ली और ब्राह्मण के नाम से भोजन निकालें। इसके बाद अंत में मंदिर में अन्न का दान दें। इससे पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।
6.तर्पण के दौरान पीपल के वृक्ष की जड़ में तिल और दूध मिलाकर अर्पण करना भी शुभ होता है। इस दौरान एक नारियल, कुछ सिक्के, मिठाई और एक जनेऊ भी रखें। 7.श्राद्ध के लिए तिल और चावल मिलाकर पिंड बनाएं, जिसे पितरों को अर्पित करें। श्राद्ध के समय इसे इस्तेमाल करने से पहले इसके पांच हिस्से निकालें। इसमें पितरों के अलावा गाय, कौवा, कुत्ता और ब्राम्हण शामिल हैं।
8.सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह सूर्य देव को जल अर्पण करें। इस दौरान गायत्री मंत्र का भी जाप करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 9.सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी ब्राम्हण को कंबल का दान करना भी शुभ माना जाता है। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
10.पितृ अमावस्या पर नारियल पर लाल सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं। अब इसे बजरंगबली के मंदिर में अर्पण करें। इससे दोष दूर होंगे।