जीवन जीने के तरीके में बदलाव के साथ-साथ सेल्फ ड्राइविंग कार हमारे ग्रह को भी बचा सकती है। ऑटोमोनस व्हीकल्स एक्सीलेरेशन, ब्रेकिंग और स्पीड वेरिएशन में ऑप्टिमाइज एफिशिएंसी के साथ तैयार किए गए हैं। इसलिए वे फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ाएंगे और कार्बन एमीशन कम करेंगे। मैकिन्से के मुताबिक अगर दुनिया ऑटोनोमस कारों को अपनाती है तो इससे सालाना 300 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन कम हो जाएगा। इससे प्रदूषण की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
ऑटो इंडस्ट्री एक्सपट्र्स का मानना है कि सेल्फ ड्राइविंग कारों के आने के बाद लोगों की ट्रैवलिंग हैबिट्स में नाटकीय बदलाव आएगा। इससे लोग कार खरीदना कम कर देंगे और सफर के लिए ऑन-डिमांड रोबो-टैक्सी बुलाएंगे। इनसे सफर जल्दी और कम खर्च में हो सकेगा। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अमरीका में एक बार ऑटोनोमस कार अपनाने के बाद व्हीकल ऑनरशिप में 43 फीसदी की कमी आ सकती है। इसका एक बड़ा कारण यह होगा कि अपना खुद का ऑटोनोमस व्हीकल लेने के बजाय शेयर्ड कार इस्तेमाल करना ज्यादा किफायती होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 1.24 मिलियन लोगों की मौत वाहनों की भिडंत के कारण होती है। वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 2.2 मिलियन हो सकता है। ड्राइवरलेस कारों में दुर्घटनाओं को कम करने की क्षमता मौजूद है। इनो सेंटर फोर ट्रांसपोर्टेशन के द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अगर अमरीका की सड़कों पर चलने वाली 90 प्रतिशत कारें ऑटोनोमस हो जाएं तो दुर्घटनाओं की संख्या 6 मिलियन सालाना से कम होकर 1.3 मिलियन सालाना हो सकती है।
ऑटोनोमस कारों के कारण न केवल कारों की दुर्घटना में कमी आएगी, बल्कि इससे ट्रैफिक की समस्या भी कम हो जाएगी। इनरिक्स 2015 ट्रैफिक स्कोरकार्ड के मुताबिक वर्ष 2015 में अमरीका में औसतन हर वाहन चालक ने 50 घंटे ट्रैफिक में फंसकर निकाले हैं। केपीएमजी की एक रिपोर्ट के अनुसार व्हीकल्स की अल्टरनेटिंग से हाईवे कैपिसिटी में 500 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। इसका अर्थ है कि आपको कम ट्रैफिक का सामना करना पड़ेगा। कम ट्रैफिक से आपकी लाइफ आसान होगी।
सेल्फ ड्राइविंग कारों की वजह से बुजुर्गों को इधर से उधर जाने में काफी आसानी हो सकती है। साथ ही वे लोग भी सशक्त होंगे, जो शारीरिक रूप से निशक्त हैं और ट्रैवलिंग के लिए कार इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। वर्ष 2012 में गूगल ने प्रदर्शित किया था कि किस तरह से यह टेक्नोलॉजी लोगों को पावरफुल बना सकती है। इस टेक्नोलॉजी से लोग ज्यादा स्वतंत्रता के साथ जीवन जी सकते हैं। नेत्रहीन व्यक्ति आसानी से सेल्फ ड्राइविंग कार इस्तेमाल कर सकता है। यह इन लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव होगा।
ट्रैफिक में गुजारा गया समय किसी काम का नहीं होता है। लेकिन ऑटोनोमस कार आने के बाद ड्राइवर्स अपने कीमती समय का इस्तेमाल उपयोगी कार्यों के लिए कर सकेंगे। मैकिन्से के एक अनुमान के मुताबिक ड्राइवरलेस कारों के कारण हर दिन पूरी दुनिया में लगभग 1 बिलियन घंटों की बचत हो सकेगी। उत्पादकता के लिहाज से समय की यह बचत काम की साबित हो सकती है।
ड्राइवर लेस व्हीकल्स को अपनाने के बाद आपको कभी भी पार्किंग स्पेस खोजने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि आपको अपनी इच्छित जगह पर ले जाकर ही ड्रॉप किया जाएगा। अगर आपके पास खुद की ऑटोमोनस कार होगी, तब भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस तरह की कारों में यह सुविधा होगी कि ये अपने लिए खुद पार्किंग स्पेस खोज सकें और अपने आप पार्क हो जाएं। इस तरह आपको कभी भी पार्किंग स्पेस को लेकर चिंता नहीं होगी।
अगर लोग अपने फ्री समय का इस्तेमाल काम में लगाएं तो इससे उत्पादकता में इजाफा होगा। मॉर्गन स्टेनली द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक ऑटोनोमस व्हीकल्स के कारण अकेले अमरीका में 507 बिलियन डॉलर सालाना का प्रोडक्टिविटी का फायदा हो सकता है। इसके अलावा ऑटोनोमस व्हीकल्स से होने वाले अन्य फायदों जैसे फ्यूल एफिशिएंसी और दुर्घटना में कमी आदि पर निगाह डालें तो पूरी दुनिया में होने वाली बचत 5.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।
90 प्रतिशत कारें ऑटोनोमस हो जाएं तो दुर्घटनाओं की संख्या कम होकर 1.3 मिलियन सालाना हो जाएगी।