शिवपाल के हटते ही टूट जाएगा मुलायम सिंह का कुनबा, ये है समाजवादी पार्टी के बिखरने की 10 वजह
नई दिल्ली। लोहिया के आदर्शों को लेकर समजावादी पार्टी का गठन करने वाले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल यादव की राहें अब अलग होने वाली हैं। पार्टी में अखिलेश और शिवपाल के मनमुटाव के चलते पहले से ही दरार थी, जो अब खाई में बदल सकती है। इस बात का अंदाजा रविवार को शिवपाल के ताजा बयान से लगाया जा रहा है। दरअसल पार्टी अध्यक्ष की बीमार पत्नी का हालचाल लेने के दौरान शिवपाल यादव ने सपा में दोबारा लौटने की बात से इंकार कर दिया है।
1.समाजवादी पार्टी में दरार की सबसे बड़ी वजह मुलायम, अखिलेश और शिवपाल के बीच तालमेल न होना है। मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल पुराने विचारधार के हैं, जबकि अखिलेश यादव नई सोच रखते हैं। वो पिछली परंपराओं को लेकर नहीं चलना चाहते हैं।
2.सपा के टूटने की वजह गुटबाजी भी है। पार्टी में दो गुट बन गए हैं, जिनमें से एक पक्ष चाचा शिवपाल को सपोर्ट करता है। तो दूसरा पक्ष नई पीढ़ि के नेता अखिलेश यादव का समर्थन करते हैं।
3.समाजवादी पार्टी में चल रही इस गुटबाजी का असर साल 2015 में सबसे ज्यादा खुलकर सामने आया था। उस दौरान मुलायम सिंह यादव ने जिला पंचायत चुनाव संचालन की कमान चाचा शिवपाल यादव को सौंपी थीं। तभी सैफई महोत्सव भी होना था। इस आयोजन के ठीक एक दिन पहले शिवपाल ने अखिलेश के करीबी नेता आंनद भदौरिया और सुनील यादव ‘साजन’ को पार्टी से निकाल दिया था। इस बात से नाराज होकर अखिलेश महोत्सव में नहीं पहुंचे थे।
4.21 जून साल 2016 में भी चाचा-भतीजे में तनातनी की खबरें सामने आई थी। इस बीच शिवापल ने अखिलेश की गैर मौजूदगी में कौमी एकता दल के सपा में विलय का ऐलान किया था। बाद में अखिलेश को इस बात की खबर मिलने पर उन्होंने कड़ा रुख अख्तियार किया और विलय के फैसले को रद्द कर दिया था।
5.कौमी एकता के विलय की बात रद्द हो जाने के बावजूद ये मसला नहीं सुलझा। अखिलेश के इस फैसले से चाचा शिवपाल यादव काफी नाराज थे। वहीं अखिलेश की ओर से कैबिनेट मंत्री बलराम यादव को बर्खास्त किए जाने की बात ने शिवपाल का गुस्सा और बढ़ा दिया था। बाद में मामले को सुलझाने के लिए मुलायम सिंह यादव को बीच में आना पड़ा था। उनके दबाव के चलते अखिलेश को बलराम सिंह को दोबारा मंत्री बनाना पड़ा था।
7.शिवपाल के करीबियों को पार्टी से बर्खास्त करने का अखिलेश का फैसला सितंबर में भी जारी रहा। उन्होंने कई मंत्रियों को पद से बर्खास्त कर दिया था। इनमें दीपक सिंघल, खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और पंचायती राज मंत्री राजकिशोर सिंह शामिल थे।
8.इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव की ताकत कम करने के लिए उनके महत्वपूर्ण विभाग लोक निर्माण (पीडब्ल्यूडी), राजस्व और सिंचाई विभाग भी छीन लिए थे। हालांकि बाद में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के दबाव के चलते उन्हें चाचा शिवपाल के आगे घुटने टेकने पड़े थे। मगर इस बीच अखिलेश ने चालाकी दिखाते हुए महज सिंचाई विभाग ही उन्हें सौंपा। जबकि पीडब्ल्यूडी विभाग अपने पास ही रख लिया था।
9.चाचा-भतीजे के बीच ये उठापठक की दास्तां यहीं नहीं थमी। शिवपाल यादव के बाद में प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उन्होंने अखिलेश से बदला लेने के लिए उनके तीन करीबी एमएलसी और चार युवा संगठनों के अध्यक्षों को पार्टी से निकाल दिया। इसमें आनंद भदौरिया और सुनील यादव ‘साजन’ शामिल थे, जिन पर शिवपाल ने दूसरी बार गाज गिराई थी।
10.शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के समर्थक सांसद रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निकाल दिया था। इस बात से भी अखिलेश और शिवपाल के बीच तनातनी बढ़ गई थी। चाचा-भतीजे के बीच के ये मनमुटाव ही असल में समाजवार्दी पार्टी के बिखराव की मुख्य वहज रही है।
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