गदर: एक प्रेम कथा
अशरफ अली! आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद था और जिंदाबाद रहेगा।
दामिनी
तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती रही है लेकिन इंसाफ नहीं मिला माई लॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला, मिली है तो सिर्फ ये तारीख।
दामिनी
जब यह ढाई किलो का हाथ किसी पे पड़ता है तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है।
घातक
ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है।
घातक
डरा के लोगों को वो जीता है जिसकी हडि्डयों में पानी भरा हो। इतना ही मर्द बनने का शौक है न कात्या, तो इन कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे।
गदर: एक प्रेम कथा
एक कागज पर मोहर नहीं लगेगी तो क्या तारा पाकिस्तान नहीं जाएगा? मुझे मेरे बच्चे को उसकी मां से मिलाने से कोई ताकत, कोई सरहद नहीं रोक सकती।
गदर: एक प्रेम कथा
ये मुल्क है कोई खेत का टुकड़ा नहीं, जो यूं ही बंट जाएगा।
मरकर किसी ने लड़ाई नहीं जीती, लड़ाई जीती जाती है दुश्मन को खत्म करके। जो बोले सो निहाल
नो इफ नो बट.. सिर्फ जट्ट।