1.वरद चतुर्थी व्रत का प्रारंभ स्नान के बाद संकल्प लेकर करें। अब पूजा स्थान में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा आसन पर बैठें और गणेश जी प्रतिमा स्थापित करें। 2.अब गणेश जी को पीले फूल, 21 दूर्वा और बूंदी के 11 या 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। गजानन को मोदक भी बहुत पसंद है, इसलिए भोग में इसे भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से गणपति जी की आप पर कृपा होगी।
3.गणेश जी को प्रसन्न करने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। अब भगवान को पांच सुपारी चढ़ाएं। इससे जल्द ही आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी।
4.वरद चतुर्थी में गणेश जी की पूजा दोपहर में करना उत्तम होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत गुरुवार की सुबह 7:55 से हुई, जो कि 7 मई यानि शुक्रवार को सुबह 8:00 बजे तक रहेगी। ऐसे में गणेश जी की पूजा कल सुबह भी की जा सकती है।
5.वरद चतुर्थी का व्रत नैतिकता के विकास के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से गणेश जी कृपा से आपकी बुद्धि का विकास होगा। 6.जीवन में आ रही मुसीबतों से बचने के लिए भी वरद चतुर्थी का व्रत बहुत लाभकारी होता है। इसके लिए आप घर में गणेश जी की अष्टधातु की मूर्ति की स्थापना करें।
7.वरद चतुर्थी के दिन ब्राम्हणों को दान देने और भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति की किस्मत भी चमकती है। 9.गजानन को प्रसन्न करने के लिए उन्हें कैथा फल चढ़ाना चाहिए। इससे आपका मुश्किल काम भी आसानी से बन जाएगा।
10.धन प्राप्ति में दिक्कतें आ रही हैं तो गणपति जी को पांच सुपारी और एक पान चढ़ाएं। अब पूजा के बाद इसे अपने पर्स या तिजोरी में रख लें। आर्थिक परेशानी दूर हो जाएगी।