1.एड्स की बीमारी एचआईवी नामक वायरस के शरीर में प्रवेश करने से फैलता है। इसमें इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। जिससे दूसरी बीमारियां आपको आसानी से जकड़ लेती हैं। 2.अभी तक पूरी दुनिया में एड्स से लड़ने के लिए कोर्ई वैकसीन नहीं बन पाया है। जिसके चलते हर साल सैकड़ों लोगों की जान जा रही है।
3.एड्स की बीमारी की शुरुआत कैसे हुई थी इस बात को लेकर वैज्ञानिकों के कई तर्क है। बताया जाता है कि इस रोग का सबसे पहला निशाना एक शिकारी था। उसे ये बीमारी एक चिम्पांजी के खरोचा मारने से हुई थी।
4.बताया जाता है कि वो शिकारी सन 1908 में शिकार के लिए कैमरून के जंगल गया था। वहां वो चिम्पांजी का पीछा कर रहा था। तभी चिम्पांजी ने शिकारी पर हमला बोल दिया और उसे खरोच लिया।
5.जानवर के खरोंचने पर चिम्पांजी के शरीर में मौजूद वायरस खून के जरिए शिकारी के शरीर में मिल गया था। जिसके चलते वो शख्स एड्स से पीड़ित हो गया और जब उसने किसी से संबंध बनाएं तो बीमारी फैलने लगी।
6.एक और रिसर्च के तहत एड्स नामक गंभीर बीमरी के फैलाने का दोषी गेटेन डूगास नाम के व्यक्ति को भी ठहराया जाता है। 7.बताया जाता है कि वो शख्स एचआईवी वायरस से ग्रस्त था। वो अपनी ये बीमारी दूसरों में बांटना चाहता था। तभी उसने जानबूझकर कई लोगों से संबंध बनाएं। वह व्यक्ति एक कैनेडियन विमान में अटेंडेंट था।
8.एड्स के इस मरीज की पहचान सैन फ्रांसिस्को के डॉक्टर्स ने सन 1980 में की गई थी। इसे पेशेंट जीरो का नाम दिया गया था। बताया जाता है कि एचआईवी वायरस के चलते अगले 10 सालों के अंदर अमरीका में करीब 60 हजार लोगों की मौत हुई है।
9.एड्स के फैलने के पीछे एक और रिसर्च सामने आई है। जिसमें बताया गया कि इसकी शुरुआत अफ्रीकी देश कान्गो से हुई थी। असल में एचआईवी वायरस चिम्पांजी वायरस का ही रूप है। 10.वैज्ञानिकों क अनुसार इसे सिमियन इम्युनो डिफेशिएंसी नामक वायरस के नाम से भी जाना जाता था। इस सिलसिले में आक्फोर्ड और बेल्जियम की ल्यूवेन यूनिवर्सिटी की शोध टीमों ने रिसर्च भी की थी।