कहां, कैसे और किसने किया सर्वे
इंडियन करप्शन स्टडी के नाम से हुए इस सर्वे को सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज द्वारा किया गया है। इस सर्वे में 13 राज्यों के 200 गांवों के 2000 परिवारों को शामिल किया गया। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगना, उत्तर प्रदेश और बंगाल शामिल हैं। खास बात ये है कि इनमें से कुछ राज्य ऐसे हैं जहां एक साल पहले चुनाव हुए थे या फिर होने वाले हैं। कर्नाटक में चुनाव हाल ही में हुआ है। जहां भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन पूर्ण बहूमत प्राप्त नहीं कर सकी है।
इन सेवाओं में सामने आया भ्रष्टाचार
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज में करीब 11 सरकारी सेवाओं जैसे पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस), बिजली, हेल्थ, स्कूल एजुकेशन, वॉटर सप्लाई, बैंकिंग सर्विस, पुलिस, न्यायिक सेवा, लैंड व हाउसिंग और ट्रांसपोर्ट सर्विस के अलावा महात्मा गांधी नेशनल रूरल इम्प्लॉइमेंट गारंटी स्कीम में भ्रष्टाचार को लेकर किया गया था। ताज्जुब की बात तो ये है कि लोगों को इन जरूरी सरकारी सेवाओं को प्राप्त करने के लिए 2500 करोड़ से लेकर 2800 करोड़ रुपए तक की रिश्वत देनी पड़ी है। ताज्जुब की बात तो ये है कि लोगों को आधार से लेकर वोटर आईडी कार्ड बनवाने तक के लिए भी रिश्वत देनी पड़ी है। वहीं सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लोगों का मानना है कि 2005 की तुलना में 2018 में भ्रष्टाचार में कमी आई है। जहां 2005 में 52 फीसदी परिवारों ने माना था कि भ्रष्टाचार है वही यह 2018 में घटकर 27 फीसदी रह गया है।