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आईएमएफ के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी बढ़ाया भारत का विकास दर अनुमान

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत का विकास अनुमान बढ़ा दिया है।

Jan 22, 2019 / 05:04 pm

Saurabh Sharma

UNO

आईएमएफ के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी बढ़ाया भारत का विकास दर अनुमान

नर्इ दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत का विकास अनुमान बढ़ा दिया है। उसने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान 0.2 फीसदी बढ़ाकर 7.4 फीसदी और अगले वित्त वर्ष के लिए 7.4 फीसदी से बढ़ाकर 7.6 फीसदी कर दिया है। हालांकि, उसने औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।

इस साल अब तक तीन प्रमुख वैश्विक संगठन विश्व बैंक, आईएमएफ और संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक विकास पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। तीनों ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान व्यक्त किया है। हालांकि, तीनों के अनुमान अलग-अलग हैं। विश्व बैंक और आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7.3 फीसदी रहने की बात कही है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इसके 7.4 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। अगले वित्त वर्ष के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ का अनुमान 7.5 फीसदी और संयुक्त राष्ट्र का 7.6 फीसदी है।

संयुक्त राष्ट्र की सोमवार को जारी रिपोर्ट ‘विश्व आर्थिक स्थिति एवं परिदृश्य 2019 में हालांकि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के विकास दर के सुस्त पड़कर 7.4 फीसदी रह जाने का अभी अनुमान है। इसमें चीन की विकास दर में लगातार गिरावट की बात कही गर्इ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी विकास दर 2018 में 6.6 फीसदी, 2019 में 6.3 फीसदी और 2020 में 6.2 फीसदी रहेगी।

रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है ”मजबूत निजी उपभोग, विस्तारवादी मौद्रिक रुख तथा पूर्व में किये गये सुधारों के लाभ की वजह से आर्थिक विकास को गति मिल रही है। इसके बावजूद मध्यम अवधि में विकास की रफ्तार और बढ़ाने के लिए निजी निवेश में मजबूत तथा सतत सुधार एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। रोजगार के मोर्चे पर भारत की स्थिति पर ङ्क्षचता व्यक्त की गर्इ है।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है ”औपचारिक क्षेत्र में रोजगार सृजन की रफ्तार कम रही है। इससे बड़ी संख्या में कामगार या तो आंशिक बेरोजगारी का शिकार हैं या बेहद कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर हैं। खासकर युवाओं के लिए स्थिति काफी ङ्क्षचताजनक है। अच्छे पढ़े-लिखे युवाओं को औपचारिक क्षेत्र में रोजगार ढूँढऩे में परेशानी होती है और उन्हें अंत में अनौपचारिक क्षेत्र में कम वेतन वाली नौकरी करनी पड़ती है।

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