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आपकी जेब भरकर खपत और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देगी सरकार, जानिए कैसे

खपत और निवेश बढ़ाने के लिए आपकी जेब भरने पर सरकार का जोर।
डीबीटी के जरिये चालू वित्त वर्ष में सरकार ने बांटा 62.7 हजार करोड़ रुपये।
साल 2030 तक खपत के मामले में अमरीका और चीन के बाद दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा देश बन जायेगा भारत।

नई दिल्लीJul 28, 2019 / 07:08 pm

Ashutosh Verma

The municipality is getting rich by employing employees

The municipality is getting rich by employing employees

नई दिल्ली। केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था की ग्रोथ को तेज करने के लिए आम जनता के हाथों में अधिक से अधिक पैसे देना चाहती है, ताकी खपत में तेजी लाई जा सके। एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आम आदमी की आमदनी होगी और उनकी जेब में पैसे होंगे तो इससे अर्थव्यवस्था में डिमांड और निवेश की साइकिल दुरुस्ता हो सकेगी।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि यह स्वाभाविक है कि खपत बढ़ेगी तो मांग भी बढ़ेगी। जब मांग में इजाफा होगा तो निवेश भी बढ़ेगा।

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पिछले वित्त वर्ष डीबीटी के जरिये में 3.29 लाख करोड़ बांटा

निर्मला सीतारमण ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ( DBT ) प्रोग्राम के बारे में बात करते हुए कहा, “जिसे इनकी जरूरत उन्हें यह सुविधा तुरंत दी जाती है। तकनीक की मदद से यह करना एक बड़ा कदम था।”उन्होंने आगे कहा कि डीबीटी प्रोग्राम के तहत 2018-19 में 3.29 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किया गया।

यह ट्रांसफर 440 स्कीम्स के लिए 129 करोड़ लोगों को किया गया। वित्त वर्ष 2020 में, 62.7 हजार करोड़ रुपये 48 करोड़ ट्रांजैक्शन के जरिये दिया गया। इसमें 439 स्कीम्स के तहत 59 करोड़ लोगों को यह फायदा दिया गया।

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खपत के मामले में दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा देश बन जायेगा भारत

इस साल जनवरी में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में मौजूदा कंज्यूमर खपत 1.5 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर साल 2030 तक बढ़कर 6 ट्रिलियन डॉलर हो जायेगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अमरीका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ी कंज्यूमर मार्केट बनने वाला है।

हालांकि, भविष्य में वर्कफोर्स के लिए रोजगार और स्किल डेवलपमेंट भारत के लिए चुनौती रहेगा। खासकर, ग्रामीण इलाकों में सामाजिक-आर्थिक समावेश और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा भी होना चाहिए।

बढ़ रही इंडस्ट्रीयल उत्पादों की मांग

पहले सरकार खपत को बूस्ट करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पब्लिक खर्च बढ़ाने का प्रयास करती थी, ताकि कोर इंडस्ट्रीज को त्वरित लाभ मिल सके। निर्मला सीतारमण ने कहा कि सीमेंट, स्टील जैसे इंडस्ट्रियल मैटेरियल की मांग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर बढ़ी है।

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