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डोनाल्ड ट्रंप की रणनीतियां उभरती अर्थव्यवस्थाआें वाले देश के लिए संकट

इस रिपाेर्ट के मुताबिक नेटवेस्ट में क्राॅस एसेट स्ट्रैटेजी के मुखिया दिम मैक काॅर्मिक का कहना है कि फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने से डाॅलर में पहले से आैर अधिक मजबूती देखने को मिल रही है जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय कर्जदारों को लोन चुकाना मुश्किल हो गया है।

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डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों से दुनिया के लिए खतरा बना अमरीका, उभरती अर्थव्यवस्थाआें पर संकट का साया

नर्इ दिल्ली। एक तरफ दुनियाभर के देश अपनी आर्थिक रफ्तार को तेज करने में लगे हैं वहीं अमरीका दुनियाभर के इन देशों के लिए खतरा बनते हुए नजर अा रहा। ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए अमरीकी डाॅलर में मजबूती, ब्याज दर में बढ़ोतरी आैर अमरीका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वाॅर जिम्मेदार है। इन सब कारणों ने कुछ एेसे हालात पैदा कर दिए हैं कि दुनियाभर के देशों के इतर इस साल केवल अमरीका में ही आर्थिक वृद्घि देखने को मिल सकती है। सात देशों के समूह में केवल अमरीकी अर्थव्यवस्था में तेजी के आसार दिखार्इ दे रहे हैं।


इन देशों पर है संकट का साया
ब्लूमबर्ग की इस रिपाेर्ट के मुताबिक नेटवेस्ट में क्राॅस एसेट स्ट्रैटेजी के मुखिया दिम मैक काॅर्मिक का कहना है कि फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने से डाॅलर में पहले से आैर अधिक मजबूती देखने को मिल रही है जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय कर्जदारों को लोन चुकाना मुश्किल हो गया है। फिलहाल मौजूदा समय में कर्इ एेसे देश हैं जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। एक तरफ जहां चीन काे अमरीका से चल रहे ट्रेड वाॅर का नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ जापानी आर्थिक जानकारों का मानना है कि उनकी अर्थव्यवस्था स्लोडाउन के तरफ बढ़ रही है। इटली की अार्थिक नीतियों की वजह से वहीं के निवेशकों की रूचि कम दिखार्इ दे रही है। ब्रिटेन की बात करें तो वहां भी ब्रग्जिट से आर्थिक अनिश्चितता बरकरार नजर आ रही है।

उभरती अर्थव्यवस्थाआें में से एक दक्षिण अमरीकी देश वेनेजुएला मौजूदा समय में एेतिहासिक आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। अर्जेंटीना भी अपनी करेंसी को बचाने के लिए वस्तुआें की कीमतें बढ़ाने में लगा हुआ है। एक एजेंसी के मुताबिक, ब्राजील, दक्षिण काेरिया, तार्इवान व भारत जैसे देशों में साल दर साल के हिसाब से 5 फीसदी घटता जा रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन को छोड़ दें तो बाकी सभी उभरती अर्थव्यवस्थाआें का ग्लोबल आउटपुट घटकर 24.6 फीसदी है। एेसे में सबसे बड़ा सवाल अब ये है चालू वित्त वर्ष के दूसरे हाफ में एशिया में कितना ग्रोथ देखने को मिल रहा है।