वित्त मंत्रालय की बढ़ी उम्मीद
टाटा स्टील आैर भूषण स्टील के सफल सौदे से वित्त मंत्रालय को भी एक खुशखबरी मिली है। इस सौदे के बाद अब वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि देश के कर्इ बड़ें बैंकों का फंसा हुआ एक लाख करोड़ रुपए वापस मिल सकता है। अभी पिछले साल ही भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआर्इ ) ने कुल 12 फर्म्स का स्ट्रेस्ड एसेट्स देखते हुए इनका नाम नेशनल कंपनी लाॅ ट्रीब्यूनल(एनसीएलटी) के पास भेजा था। भूषण स्टील लिमिटेड भी इन्हीं फर्म्स में से एक है। एेसे में भूषण आैर टाटा के बीच इस साैदे से बैंकिंग सिस्टम को साफ करने में मदद मिलेगा वहीं कर्जदाताआें को भी इससे लाभ मिलने की अनुमान है।
दिवालिया प्रस्ताव से बैंकों पर बोझ कम करने का रास्ता
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक बाकी 11 फर्म्स भी इसी कतार में हैं। लिहाजा दिवालिया प्रस्ताव के बाद मिलने वाली रकम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर बोझ कम करने का काम करेगी। पिछले साल ही आरबीआर्इ की एक आंतरिक सलाहकार समिति ने एेसे 12 फर्म्स की पहचान की थी जिनपर 5,000 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा का कर्ज है। बैंकों के कुल एनपीए में इनकी हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है। आरबीआर्इ के निर्देश के बाद बैंकों ने 12 एेसे खातों की जानकारी दी थी जिनपर कुल 1.75 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। इनमें भूषण स्टील लिमिटेड, भूषण पावर एेंड स्टील लिमिटेड, जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड, लैंकों इन्फ्राटेक, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड, ज्योति स्ट्रक्चर्स लिमिटेड, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड, ऐमटेक ऑटो लिमिटेड, एरा इन्फ्रा इंजिनियरिंग लिमिटेड, आलोक इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड शामिल हैं।
बैंकों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
एनसीएलटी की कोलकाता बेंच ने वेदांता रिसोर्सेज के इलेक्ट्रीकल्स को अधिग्रहित करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी हैं। पिछले साल जून में पंजाब नेशनल बैंक ने भूषण पावर एंड स्टील को भी एनसीएलटी के पास भेजा है। भूषण पावर एंड स्टील पर कुल 48 हजार करोड़ रुपए का बकाया है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़ें बैंक ने अपने बयान में कहा है कि इससे बैंकों को फायदा मिलेगा। वहीं इस विषय से जुड़े जानकारों का कहना है कि इससे बैंकों पर साकारात्मक प्रभाव पड़ेगा आैर उन्हें करीब 735 करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है।