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इतने लग जाएगा रुपया
इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर 67,193 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं, जिसमें से केंद्र सरकार 20,870 करोड़ रुपए और राज्य सरकारें मिलकर 46,323 करोड़ रुपए खर्च करेंगी। केंद्र सरकार ने कहा है कि योजना के तहत कोरोनोवायरस वैक्सीन के मूल्य निर्धारण, खरीद, पात्रता और प्रशासन को लचीला बनाया जाएगा। जबकि पहले चला आ रहा टीकाकरण अभियान जारी रहेगा, स्वास्थ्य वर्करों, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों और 45 वर्ष से अधिक की आबादी वाले लोगों को मुफ्त टीकाकरण प्रदान किया जाएगा।
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खुले बाजार से खरीदनी होंगी एक्सट्रा डोज
वहीं 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के वैक्सीनेशन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्माताओं से सीधे अतिरिक्त कोविड-19 वैक्सीन खरीदने की अनुमति होगी। परिणामस्वरूप, टीका निर्माता अब अपने उत्पादन का 50 फीसदी सरकार को आपूर्ति करेंगे और शेष 50 फीसदी राज्य सरकारों और खुले बाजार द्वारा खरीद के लिए उपलब्ध होगा।
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कुल जीडीपी का 0.36 फीसदी खर्च
टीकों की कुल आवश्यकता में से 21.4 करोड़ खुराक की खरीद के लिए पहले ही 5,090 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इस प्रकार 155.4 करोड़ खुराक खरीदने के लिए खर्च की जाने वाली शेष राशि 62,103 करोड़ रुपए होगी। रिपोर्ट की मानें तो यह कोई बड़ी राशि नहीं है क्योंकि 67,193 करोड़ रुपए जीडीपी का सिर्फ 0.36 फीसदी है।
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किस पर कितना असर
अगर हम इसे केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विभाजित करते हैं, तो केंद्रीय बजट पर राजकोषीय प्रभाव जीडीपी का 0.12 फीसदी होगा और राज्य के बजट पर जीडीपी का 0.24 फीसदी होगा। राज्यों की बात करें तो सबसे अधिक प्रभाव बिहार (जीएसडीपी का 0.60 फीसदी), उत्तर प्रदेश (0.47 फीसदी), झारखंड (0.37 फीसदी), मणिपुर (0.36 फीसदी), असम (0.35 फीसदी), मध्य प्रदेश पर (0.3 फीसदी) और ओडिशा (0.3 फीसदी) होने की संभावना है।