स्वीडन एक एेसा देश हैं जहां कुल अर्थव्यवस्था का केवल एक फीसदी ही नगदी के तौर पर इस्तेमाल हाेता है।
नर्इ दिल्ली। एक तरफ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कैशलेस अर्थव्यवस्था की महत्वकांक्षी परियोजना काे देश में पूरी तरह से लागू करने में तमाम दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा हैं वहीं दूसरी तरफ एक एेसा भी देश हैं जहां कुल अर्थव्यवस्था का केवल एक फीसदी ही नगदी के तौर पर इस्तेमाल हाेता है। इस देश का नाम स्वीडन है आैर फिलहाल पीएम मोदी इस देश के दौरे पर है। एेसे में आइए जानते हैं कि आखिर कैसे स्वीडन कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह पर आगे बढ़ा।
केवल एक फीसदी ही होता है नकदी में लेनदेन
मौजदूा समय में स्वीडन दुनिया के उन चुनिंदा देशो में से एक है जहां की अर्थव्यवस्था में 99 फीसदी लेनदेन कैशलेस है। स्वीडन की अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल लेनदेन का केवल एक फीसदी ही नकदी के तौर पर इस्तेमाल होता है। वहीं इस देश की राष्ट्रीय बैंक रिक्सबैंक के अनुसार स्वीडन का रिटेल बिजनेस में केवल 5 फीसदी ही नकदी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यातायात तक के लिए होता है कैशलेस पेमेंट यही नही इस देश में यातायात के लिए भी आपको कैश की जरूरत नहीं होती है। यहां की सरकार ने चालकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिक्के आैर नोट से भुगतान करने पर पाबंदी लगा दिया गया है। यहां कैशलेस व्यवस्था को बढ़ाने के लिए छोटे व्यापारियों में भी क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने की तकनीक बेहतर ढंग से प्रमोट किया गया है। जिसके बाद से छोटे व्यापारी कैशलेस भुगतान करने लगे हैं।
मोबाइल भुगतान के लिए विकसित किया गया विशेष प्रणाली स्वीडन में मोबाइल भुगतान के लिए भी कुछ विशेष प्रणली को विकसित किया गया है। यहां बैंको की मदद से इस विशेष मोबाइल प्रणाली से कोर्इ भी आसानी से पैसे भेज सकता है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ बाजारों में किया जाता है बल्कि स्कूलों में ये इस्तेमाल किया जाता है।
कम जनसंख्या का हुआ फायदा कैशलेस अर्थव्यवस्था को स्वीडन में लागू करना इसलिए भी आसान हुआ क्योंकि स्वीडन की जनसंख्या कम है आैर यहां के लोग एक दूसरे से काफी जुड़े हुए है। यहां के लोगो को बैंको आैर संस्थानों पर विश्वास है। उन्हें इस बात का डर नहीं है कि उनके कार्ड से पैसे चोरी हो सकते हैं।