भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपए में गिरावट रोकने के लिए हाजिर और वायदा में करीब 1.37 लाख करोड़ रुपए (2,000 करोड़ डॉलर) की बिक्री की है।
•Aug 06, 2018 / 09:09 pm•
Saurabh Sharma
बढ़ती तेल कीमतों से पैदा हुर्इ समस्या, कर्ज चुकाने में खर्च हो जाएगा आधे से ज्यादा विदेशी मु्द्रा भंडार
नई दिल्ली। रुपए में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देश की अर्थव्यवस्था को दोहरी चोट दे रही हैं। तेल भाव चढऩे से डॉलर की मांग बढऩे के चलते रुपया कमजोर होकर इस स्थिति में आ चुका है कि देश के करीब 15.25 लाख करोड़ रुपए (22,200 करोड़ डॉलर) के अल्पावधि के विदेशी कर्ज को चुकाने में देश का आधा विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो जाएगा।
लगातार बढ़ती तेल कीमतें
भारत को इस कर्ज का भुगतान अगले साल मार्च तक करना है। यह राशि मार्च 2018 में देश के विदेशी मुद्रा भंडार का करीब 52 फीसदी है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़े अभी तक जारी नहीं हुए हैं, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि इसमें जून के अंत तक 1.23 लाख करोड़ (1,800 करोड़ डॉलर) और जुलाई में 13.74 हजार करोड़ रुपए (200 करोड़ डॉलर) की कमी हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की मुख्य वजह विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से भारी निकासी किया जाना और कच्चे तेल के दाम में तेजी की वजह से डॉलर की बढ़ती मांग है। इसकी वजह से रुपए पर दबाव बढ़ा है और अप्रैल के बाद से अब तक डॉलर की तुलना में इसकी कीमत में 5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। बता दें कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार से 61 हजार करोड़ रुपए की निकासी की थी, हालांकि जुलाई महीने में उन्होंने लगभग 2,300 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
रुपए में गिरावट रोकने को डॉलर की बिक्री
भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपए में गिरावट रोकने के लिए हाजिर और वायदा में करीब 1.37 लाख करोड़ रुपए (2,000 करोड़ डॉलर) की बिक्री की है। आरबीआर्इ द्वारा जारी जुलाई बुलेटिन के मुताबिक मई में डॉलर की रेकॉर्ड बिक्री की गई थी जो जुलाई 2013 के बाद सर्वाधिक था। मई में आरबीआइ ने 67.4 हजार करोड़ रुपए के डॉलर की बिक्री की थी, जबकि सिर्फ 28.2 हजार करोड़ रुपए के डॉलर खरीदे थे।
बढ़ सकता है लघु अवधि का कर्ज
बाजार विशेषज्ञों ने आयात बढऩे की संभावना जताई है। ऐसी परिस्थिति में देश में विदेशी निवेश नहीं बढऩे की स्थिति में छोटी अवधि के कर्ज में और बढ़ोतरी हो सकती है और रुपए पर दबाव बढ़ेगा। रुपए पर दबाव की वजह से महंगाई वृद्धि को रोकने के लिए आरबीआइ ने रेपो दर में बढ़ोतरी की थी। आरबीआइ को उम्मीद है कि रेपो रेट बढऩे की स्थिति में बांड बाजार में विदेशी बाजार बढ़ेगा।
आरबीआर्इ ला सकती है एनआरआर्इ बांड
डॉलर की बिक्री के बाद भी रुपए में गिरावट जारी रही तो विशेष बांड जारी किए जा सकते हैं। बैंक ऑफ अमरीका मेरिल लिंच ने एक रिपोर्ट में संभावना जताई थी कि डॉलर के मुकाबले रुपए के 70 पार पहुंचने और निवेश में बढ़ोतरी न होने की स्थिति में आरबीआइ एनआरआइ बांड ला सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक इस बांड के जरिए आरबीआइ 2.40 लाख करोड़ रुपए जुटा सकता है।
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