1. देश में आर्थिक मंदी की आहट
इस समय देश आर्थिक मंदी की समस्या से जूझ रहा है। देश की जीडीपी का 5 फीसदी पर पहुंच जाना देश के लिए बड़ा खतरा है। अगर देश के हालात इसी तरह रहते हैं तो देश में स्लोडाउन की स्थिति और तेजी से बढ़ सकती है। इसके साथ ही यह सरकार के अगले 5 साल के लिए एक खतरे की घंटी है। देश में बढ़ती मंदी के कारण शेयर बाजार के हालात भी काफी खराब हो गए हैं। इसके साथ ही सोने पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। फिलहाल पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमतों में काफी तेजी देखने को मिली है।
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2. बढ़ रही बेरोजगारी
आर्थिक मंदी की आहट के चलते इस वक्त मोदी सरकार के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती देश में बढ़ती बेरोजगारी हैं। मंदी के कारण देश में कई कंपनियां बंद हो रही हैं, जिसका सीधा असर बेरोजगारी पर देखने को मिल रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। इसके साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर पिछले साल के मुकालबे 12 फीसदी से घटकर मात्र 0.6 फीसदी रह गई है और इस क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की नौकरियां चली गई हैं। ऐसी स्थिति में मोदी सरकार को देश में बेरोजगारी के संकट को कम करने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही सीएनआइई की रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में 1.1 करोड़ नौकरियां छिन गईं हैं।
3. ऑटो सेक्टर में भी आई मंदी
देश में बढ़ती आर्थिक सुस्ती के कारण ऑटो इंडस्ट्री में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। देश मे मारुति जैसी बड़ी कंपनियों की बिक्री में भी काफी गिरावट देखी गई है। इसके साथ ही देश के हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है। अगस्त में कारों की बिक्री में 29 फीसदी की भारी गिरावट आई है। इसके साथ ही इस समय देश की लगभग 10 लाख नौकरियां खतरे में हैं।
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4. 5 फीसदी पर पहुंची जीडीपी
मोदी सरकार ने हाल ही में तिमाही आधार पर जीडीपी के आंकड़ें पेश किए थे। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी थी। वहीं चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी दर लुढ़ककर 5 फीसदी पर आ गई है। देश की जीडीपी का 5 फीसदी पर सभी के लिए काफी चिंता की बात है। अगर सरकार इस आंकड़ें को देखकर भी कोई कदम नहीं उठाती है तो इससे आने वाले समय में देश के हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते हैं। विपक्ष भी सरकार के इस रवैए को लेकर काफी परेशान है।
5. बैंक का मर्जर
हाल ही में देश की वित्त मंत्री ने बैंकों के मर्जर को लेकर घोषणा की है। उन्होंने देश के 10 सराकरी बैंकों का मर्जर करने के बारे में ऐलान किया है। मोदी सरकार देश में 4 बड़े बैंकों की स्थापना करने के बारे में विचार कर रही है। सरकार के इस फैसले से भी काफी लोग नाखुश हैं। बैंकों के विलय के खिलाफ बैंकिंग सेक्टर की ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।