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वर्ल्ड बैंक ने की भारत की तारीफ, कहा – 1990 के बाद आधी रह गई गरीबी दर आई

भारत में 1990 के बाद गरीबी दर आधी रह गई
विश्व बैंक ने कहा कि इस समय स्थिति में हुआ काफी सुधार

नई दिल्लीOct 16, 2019 / 05:51 pm

Shivani Sharma

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नई दिल्ली। विश्व बैंक ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि भारत में 1990 के बाद से गरीबी के मामले में स्थिति में काफी सुधार हुआ है और इस दौरान उसकी गरीबी दर आधी रह गई। भारत ने पिछले 15 साल में सात फीसदी से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की है। विश्वबैंक ने मंगलवार को यह टिप्पणी की।


भारत में दूर हुई गरीबी

विश्वबैंक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ सालाना बैठक से पहले कहा कि भारत अत्यधिक गरीबी को दूर करने समेत पर्यावरण में बदलाव जैसे अहम मुद्दों पर वैश्विक वस्तुओं के प्रभावी अगुवा के तौर पर वैश्विक विकास प्रयासों की सफलता के लिये महत्वपूर्ण है।


1990 के बाद कम हुई गरीबी

देश ने पिछले 15 साल में सात फीसदी से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की है और 1990 के बाद गरीबी की दर को आधा कर लिया है। इसके साथ ही भारत ने अधिकांश मानव विकास सूचकांकों में भी प्रगति की है। विश्वबैंक ने कहा कि भारत की वृद्धि रफ्तार के जारी रहने तथा एक दशक में अति गरीबी को पूरी तरह समाप्त कर लेने का अनुमान है। इसके साथ ही देश की विकास यात्रा की राह में कई चुनौतियां भी हैं।


बढ़ेगा कृषि उत्पादन

उन्होंने कहा कि भारत को इसके लिये संसाधनों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाना होगा। शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक अर्थव्यवस्था के जरिये तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन बढ़ाकर जमीन का बेहतर इस्तेमाल करना होगा। विश्वबैंक ने कहा कि भारत को अधिक मूल्यवर्धक इस्तेमाल के लिये पानी आवंटित करने को लेकर बेहतर जल प्रबंधन तथा विभिन्न क्षेत्रों में पानी के इस्तेमाल का मूल्य बढ़ाने के लिये नीतियों की जरूरत होगी। इसके साथ ही 23 करोड़ लोग बिजली ग्रिडों से अच्छी तरह जुड़े नहीं हैं। देश को कम कार्बन उत्सर्जन वाला विद्युत उत्पादन भी बढ़ाना होगा।


विकास में आएगी तेजी

उसने कहा, ”भारत की तेज आर्थिक वृद्धि को बुनियादी संरचना में 2030 तक अनुमानित तौर पर जीडीपी के 8.8 फीसदी के बराबर यानी 343 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इसके साथ ही टिकाउ वृद्धि के लिये समावेश को बढ़ाना होगा, विशेषकर अधिक और बेहतर रोजगार सृजित करने होंगे।

अनुमानित तौर पर प्रति वर्ष 1.30 करोड़ लोग रोजगार योग्य आयुवर्ग में प्रवेश कर रहे हैं लेकिन सालाना स्तर पर रोजगार के तहज 30 लाख अवसर सृजित हो पा रहे हैं। इसके साथ ही भारत के समक्ष एक अन्य चुनौती महिला कामगारों की संख्या में आ रही कमी है। भारत में श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी 27 फीसदी है, जो विश्व में सबसे कम में से एक है।

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