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कोयले की बढ़ती किल्लत से बड़ा संकट
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से 11 मई को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर उनके राज्य में कोयले की वर्तमान में बढ़ती किल्लत को देखते हुए वर्ष 2023-24 में 91.21 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण जल्द से जल्द कराने का अनुरोध किया गया है। पत्र में गहलोत ने यह भी लिखा की जमीन के सौंपे जाने के बाद खनन के उसकी ऊपरी सतह हटाने में कम से कम दो महीने का वक्त लगता है, वहीं बढ़ती गर्मी में बिजली की मांग के मद्देनजर राजस्थान के बिजली घरों में कोयले का भंडार कम आपूर्ति की वजह से गंभीर संकट का सबब बनता जा रहा है। वर्तमान में माइनिगं हेतु पीईकेबी कोल ब्लाक के दूसरे चरण में कुल 1136 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध करवाई गई, जिसमें वर्ष वार खनन हेतु आवश्यक कुल 134.84 हेक्टेयर वन भूमि में से 43.63 हेक्टेयर भूमि में खनन समाप्त होने की कगार पर है। वन विभाग की स्वीकृती के बावजूद भी 91.21 हेक्टेयर भूमि खनन के लिए राज्य वन विभाग, छत्तीसगढ़ द्वारा अब तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।
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पेड़ों के विदोहन तथा हस्तांतरण में देरी
प्रधान सचिव ऊर्जा भास्कर ए सावंत ने पीईकेबी ब्लॉक के लिए 91.21 हेक्टेयर जमीन में पेड़ों के विदोहन तथा हस्तांतरण में देरी की बात कहते हुए आरवीयूएनएल के थर्मल पावर प्लांट पीईकेबी कोयला ब्लॉक के कोयले पर निर्भरता और कोयला खनन के लिए आवश्यक भूमि जल्द ही प्रदान करने की बात कही है। इसके अलावा घाटबर्रा गांव में ग्राम सभा आयोजित करने में देरी तथा स्थानीय ग्रामीणों के लाभ के लिए कोयला ब्लॉक के आसपास के क्षेत्र में प्रस्तावित 100 बिस्तरों का अस्पताल स्थापित करने के लिए चाही गई 4 हेक्टेयर सरकारी भूमि के आवंटन के मुद्दे में भी प्रकाश डाला गया।