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ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने दिए संकेत,अमरीकी करंसी वाॅचलिस्ट से बाहर हो सकता है भारतीय रुपया

अमरीकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने कहा है कि इसके लिए कुछ डेवलपमेंट के साथ-साथ नर्इ दिल्ली से लिए गए कुछ अहम फैसले भी जिम्मेदार हैं। अप्रैल माह में ही अमरीका ने भारत को करंसी वाॅचलिस्ट में शामिल किया था।

नई दिल्लीOct 19, 2018 / 08:58 am

Ashutosh Verma

नर्इ दिल्ली। बहुत जल्द ही अमरीका भारत को एक बड़ा झटका दे सकता है। अमरीकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट अपने मुख्य ट्रेडिंग पार्टनर्स के लिए करंसी माॅनिटरिंग लिस्ट से भारतीय करंसी को हटा सकता है। अमरीकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने कहा है कि इसके लिए कुछ डेवलपमेंट के साथ-साथ नर्इ दिल्ली से लिए गए कुछ अहम फैसले भी जिम्मेदार हैं। अप्रैल माह में ही अमरीका ने भारत को करंसी वाॅचलिस्ट में शामिल किया था। भारत को ये मौका फाॅरेन एक्सचेंज पाॅलिसी को लेकर दिया गया था। भारत के साथ अमरीका ने इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिणा कोरिया आैर स्विटजरलैंड को भी जगह दिया था।


अगली रिपोर्ट से पहले बाहर हो सकता है भारत

अमरीकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने बुधवार को जारी किए गए अपने माॅनिटरिंग लिस्ट में कोर्इ बदलाव तो नहीं किया है लेकिन कहा है कि बीते छह माह की तरह ही यदि भारत वही करता रहा तो अगले छमाही रिपोर्ट में भारत को इस लिस्ट से हटाया जा सकता है। ट्रेजरी ने कहा, “भारत की परिस्थितियों में स्पष्ट रूप से बदलाव आया है, क्योंकि 2018 के पहले छह महीनों में केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा की शुद्ध बिक्री ने जून 2018 के माध्यम से चार तिमाहियों में शुद्ध खरीद का नेतृत्व 4 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.2 प्रतिशत कर दिया था।”


ट्रेजरी ने गिनाए ये कारण

इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि साल 2018 के पहले छह महीनों में डाॅलर के मुकाबले रुपए में करीब 7 फीसदी कि गिरावट दर्ज की गर्इ है। बता दें कि भारत आैर अमरीका के बीच कर्इ महत्वपूर्ण व्यापारिक रिश्ता है। जून 2018 तक चार वित्त वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच करीब 23 अरब डाॅलर का व्यापार रहा है। लेकिन भारत की मौजूदा राजकोषिय घाटा पूरी जीडीपी का 1.9 फीसदी है जो कि चिंताजनक है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए ट्रेजरी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 अधिनियम के मुताबिक तीन में से केवल एक क्राइटेरिया को पूरा करता है।

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