बीते सालों का कुछ ऐसा है लेखा जोखा
निर्मला सीतारमण द्वारा दिए लिखित जवाब के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में पिछले पांच सालों में मार्च 2019 तक 60 फीसदी से भी ज्यादा बढ़कर 8,582 हुई है। सीतारमण के जवाब के अनुसार 2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 5,349 थी। जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 6,575 तक पहुंच गया। वहीं वित्त वर्ष 2016-17 में 7,079 और वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7,535 पर पहुंच गया। वित्त मंत्री के अनुसार इसकी संख्या में लगातार इजाफा हुआ है।
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बीते पांच सालों में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में इजाफा
वित्त वर्ष | विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या |
2014-15 | 5,349 |
2015-16 | 6,575 |
2016-17 | 7,079 |
2017-18 | 7,535 |
2018-19 | 8,582 |
यह हुई कार्रवाई
बीते पांच साल में विलफुल डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई की बात करें तो ऐसे डिफॉल्टर्स से 7,654 करोड़ रुपए की रकम वसूली गई है। बैंकों द्वारा दिए आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2018-19 तक वसूली के 8,121 मामले लंबित थे। वहीं दूसरी ओर सिक्यॉर्ड ऐसेट्स मामलों में 6,251 केसों में सारफेसी एक्ट में कार्रवाई शुरू हुई है। वहीं आरबीआई निर्देशों के अनुसार 2,915 मामलों में एफआईआर दर्ज भी की गई है। आपको बता दें कि देश में मौजूदा समय में 17 सरकार बैंक हैं।
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हो रही है कार्रवाई
संसद में दिए निर्मला सीतारमण के बयान के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स को किसी बैंक या वित्तीय संस्था से कोई राहत नहीं मिली हुई है। डिफॉल्टर को पांच सालों के लिए कोई दूसरी यूनिट लगाने पर पाबंदी लगाई गई है। वहीं दिवाला एवं दिवालिया संहिता, 2016 का इस्तेमाल करते हुए विलफुल डिफॉल्टर्स को दिवाला निस्तारण प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने से रोका गया है।
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