उन्होंने कहा कि रामसार कन्वेंशन के ढांचे के अनुसार जल निकाय को अंतरराष्ट्रीय महत्व का जलीय क्षेत्र घोषित होने के लिए सात मापदंडों में से किसी एक को पूरा करना होता है। इसमें एक मानदंड यह है कि जल निकाय को 20,000 क्यूसेक या उससे अधिक पानी के बहाव का समर्थन करना चाहिए। दूसरा यह है कि उसमें नियमित रूप से एक प्रजाति या पानी प्रजाति की उप प्रजातियों की जनसंख्या के एक प्रतिशत जीव होने चाहिएं। चूंकि कोई भी एक पात्रता मापदंड को पूरा करना रामसार वेटलैंड क्षेत्र घोषित होने के लिए पर्याप्त है ऐसे में रंगनथिट्टू तीन मापदंडों को पूरा करता है।
वर्ष में चार बार होती है पक्षी गणना
रामसार वेटलैंड की मान्यता पाने के लिए रविवार को वन विभाग ने मैसूरु बर्ड वाचर्स ग्रुप के साथ मिलकर अभयारण्य में पक्षियों की जनगणना का काम शुरू किया। दरअसल विभाग के पास पक्षियों की सही संख्या का कोई स्पष्ट और वैज्ञानिक आंकड़ा मौजूद नहीं है क्योंकि पक्षियों की संख्या मौसम में अनुरूप बदलाव आता है। यदुकोंडालू ने कहा कि हम हर वर्ष फरवरी, मई, अगस्त और नवमबर के महीनों जनगणना करते हैं और मौसम के अनुरूप हर बार अलग अलग किस्म के पक्षियों की बहुतायता मिलती है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा पक्षियों द्वारा पसंद किए जाने वाले वनस्पतियों के प्रकार को भी वैज्ञानिक रूप से प्रलेखित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें पक्षियों के पसंद के किसी विशेष प्रजाति के पसंदीदा वनस्पति प्रकार की जानकारी नहीं है इससे इसके संरक्षण को अनदेखा कर सकते हैं। मौजूदा अध्ययन हमें वनस्पति और परिदृश्य की पहचान करने में मदद करेगा। साथ ही पक्षियों के अस्तित्व और प्रजनन के लिए क्या महत्वपूर्ण है उसकी जानकारी मिलेगी।
क्या है रामसार वेटलैंड मान्यता
दरअसल भारत ने वर्ष-१९७१ में ईरान के शहर रामसार में झीलों पर आयोजित सम्मेलन में एक करार किया है जिसे रामसार कन्वेंशन कहा जाता है। इसके तहत एक मानक के अंतर्गत रामसार वेटलैंड मान्यता वाले जलीय क्षेत्रों को विकसित किया जाता है और वहां के संसाधनों को संरक्षित किया जाता है। मौजूदा समय में भारत में अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसार वेटलैंडों की कुल संख्या २६ है लेकिन इसमें कर्नाटक का कोई भी स्थल शामिल नहीं है।
बिरवा हंस, जांघिल बगुलों की एक फीसद आबादी
अधिकारियों के अनुसार रंगनथिट्टू अभयारण्य में बिरवा हंस की दुनिया की कुल आबादी का एक प्रतिशत हिस्सा मौजूद है। इस प्रजाति के हंसों की कुल वैश्विक आबादी करीब १७ हजार है जबकि अकेले रंगनथिट्टू में करीब १००० हंस हैं। इसी प्रकार जांघिल बगुला की कुल वैश्विक आबादी १५ हजार से २० हजार के बीच है जबकि रंगनथिट्टू में १००० से ज्यादा जांघिल बगुले हैं। इसी प्रकार मगर प्रजाति के घडिय़ाल भी एक प्रतिशत से ज्यादा हैं और कुछ अन्य जाति के पक्षी भी इसी रूप में मौजूद हैं।