आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष २०१६ में चीन में २०५ देशों से करीब ४.४२ लाख विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे थे। इन में से ११.०७ प्रतिशत को सरकारी स्कॉलरशिप भी हासिल थी। करीब १५००० भारतीय स्टूडेंट्स भी चीन में पढ़ाई कर रहे हैं, इनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स यहां मेडिकल की पढ़ाई करने आए हैं। चीन में मेडिकल कोर्सेस काफी पॉपुलर है। भारतीय प्राइवेट मेडिकल कॉलेजिस के मुकाबले चीन में मेडिकल कोर्सेस ज्यादा सस्ते पड़ते हैं।
पिछले कुछ सालों में चीन में विदेशी स्टूडेंट्स की गिनती बढ़ी है। बीजिंग स्थित थिंक टैंक सैंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के निदेशक वांग हुइयो ने कहा कि देश में इस तरह की इनोवेटिव पॉलिसीज को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इससे देश में वर्कफोर्स डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलता है।
वीजा पॉलिसी में किए गए यह बदलाव तो बहुत छोटे हैं, लेकिन बेशक यह एक पॉजिटिव साइन है कि अब चीनी सरकार विदेशी स्टूडेंट्स को नए अवसर देने के लिए तैयार है। पढ़ाई के साथ साथ पार्ट टाइम काम करने देने की अनुमति से स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन के बाद वहीं काम मिलने में भी आसानी होगी। यानी कि अब विदेशी स्टूडेंट्स न केवल वहां पढ़ाई कर सकेंगे, बल्कि अपने खर्च वहन करने के लिए पार्ट टाइम जॉब और ग्रेजुएशन के बाद जॉब भी पा सकते हैं।