केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं में शुरुआती शिक्षा की ये पहल गेम चेंजर है। भारतीय गैर-अनुसूचित भाषाओं में लघु पाठ्यपुस्तकें बच्चों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम बनने जा रही है। अब बच्चों को उनकी शुरुआती शिक्षा उनकी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में मिलेगी।
नई शिक्षा नीति में आठवीं तक मातृभाषा में शिक्षा देने की पहल की गई है। केंद्र सरकार की ओर से जारी पुस्तकों 52 भारतीय भाषा है, जिसमें करीब 17 आदिवासी भाषाएं शामिल हैं। NCERT ने भी स्कूली स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा देने की तैयारी कर ली है। इसके लिए 53 प्राइमर्स लॉन्च किए गए हैं। छात्रों के लिए लघु पाठ्यपुस्तकें NCERT द्वारा केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के सहयोग से तैयार की गई हैं।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद प्रधान ने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति में आठवीं तक सभी को मातृभाषा में शिक्षा देने का कदम उठाया गया है, जिस पर काम शुरू हो गया है। ये सभी भाषाएं वैसे तो बहुत सीमित क्षेत्रों में बोली जाती हैं, बावजूद इसके NCERT ने इन भाषाओं में भी स्कूली स्तर पर शिक्षा देने की तैयारी की है। इसे लेकर 52 भाषाओं में तैयार की गई शुरुआती किताबों को लॉन्च किया गया है, जो जल्द ही इन क्षेत्रों में पढ़ने के लिए दी जाएंगी।