डीडीयू के इस आदेश के बाद शोधार्थियों को नौकरी भी नहीं छोड़नी पड़ेगी और उनकी पढ़ाई भी पूरी हो जाएगी। डीडीयू ने यूजीसी के दिशा-निर्देश और एनईपी (New Education Policy 2020) को देखते हुए अपने शोध अध्यादेश में व्यापक बदलाव किए हैं। इससे पहले विद्यार्थियों को नौकरी और डिग्री में से किसी एक को चुनना पड़ता था। कई शोधार्थी जिन्हें अच्छी नौकरी की तलाश रहती है, वो पढ़ाई छोड़ देते हैं। वहीं कुछ पढ़ाई के लिए नौकरी की कुर्बानी दे देते हैं। हालांकि, अब छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी।
छात्रों की ओर से इस तरह की दुविधा का हल निकालने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। डीडीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नए पीएचडी अध्यादेश में नियमित शोध कर रहे विद्यार्थियों को नौकरी मिलने की स्थिति में सहूलियत दी गई है। ऐसे विद्यार्थी अब रिसर्च करते हुए अपनी नौकरी भी कर सकेंगे।