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Google Doodle: भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में अलग पहचान दिलाने वाले विक्रम साराभाई की 100वीं जयंती है आज

Google Doodle: विक्रम साराभाई को उनकी 100वीं जंयती पर Google Doodle बनाया गया है। वह भारत के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे।

Aug 12, 2019 / 08:02 am

Deovrat Singh

Google Doodle

vikram sarabhai

Google Doodle : विक्रम साराभाई को उनकी 100वीं जंयती पर google doodle बनाया गया है। वह भारत के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे। उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को हुआ था। विक्रम का जन्म सुख-सुविधाओं वाले घर में हुआ था। यहां तक कि उनकी पढ़ाई उनके परिवार द्वारा बनाए गए एक ऐसे प्रयोगात्मक स्कूल में हुई जिसमें विज्ञान की ओर उनकी जिज्ञासा और जानकारी को धार देने के लिए एक वर्कशॉप भी मौजूद थी। साराभाई 18 साल की उम्र में पारिवारिक मित्र रबींद्रनाथ टैगोर की सिफारिश पर कैंब्रिज पहुंच गए। हालांकि, दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने पर वह बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सीवी रामन के तत्वाधान में रीसर्च करने पहुंचे।
विक्रम साराभाई अपने दौर के उन गिने-चुने वैज्ञानिकों में से एक थे जो अपने साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों और खासकर युवा वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने में मदद करते थे। यही वजह थी कि उन्हें (Vikram Sarabhai) एक बेहतर लीडर भी माना जाता था. साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) की स्थापना की थी। बता दें कि गूगल अलग-अलग क्षेत्र की उन बड़ी हस्तियों को Google Doodle बना कर श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने समाज के लिए बड़ा योगदान दिया है
विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के अंतरिक्ष इतिहास के जनक कहे जा सकते हैं। एक तरह से उन्होंने भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की नींव रखी। उन्होंने देश में 40 अंतरिक्ष और शोध से जुड़े संस्थानों को खोला। उन्होंने आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया। गुजरात के अहमदाबाद से आने वाले सारा भाई पर तिरूवनंतपुरम में स्थापित थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉचिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) और सम्बध्द अंतरिक्ष संस्थाओं का नाम बदल कर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रख दिया गया। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र के रूप में उभरा।

यूं बढ़ी रुचि
यहां उनकी मुलाकात प्रखर युवा विज्ञानी होमी भाभा से हुई। यहीं वह क्लासिकल डांसर मृणालिनी स्वामिनाथन से भी मिले जिनसे उन्हें प्रेम हो गया। अमैरिकन फिजिसिस्ट और नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट मिलिकन जब कॉज्मिक रे इंटेंसिटी के वर्ल्ड सर्वे के लिए भारत आए, तो विक्रम ने अपने बलून एक्सपेरिमेंट से उनकी मदद की जिससे कॉज्मिक रेज और ऊपरी वायुमंडल के गुणों की ओर उनकी रुचि और बढ़ गई। करीब 15 साल बाद जब वैज्ञानिकों ने स्पेस के अध्ययन के लिए सैटलाइट्स को एक अहम साधन के रूप में देखा, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू और होमी भाभा ने विक्रम साराभाई को चेयरमैन बनाते हुए इंडियन नैशनल कमिटी फॉर स्पेस रीसर्च की स्थापना के लिए समर्थन दिया।

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