विदेशी मुद्रा का रुके दबाव –
एक्सपर्ट की मानें तो सरकार विदेशी यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर देश में कोर्स उपलब्ध कराने के पीछे उद्देश्य भारतीय मुद्रा को विदेश में जाने से रोकना भी है। यह एक तीर से दो शिकार वाली रणनीति है। एक ओर हम अपने संस्थानों को बेहतर बनाने की दिशा में बढ़ेंगे, जबकि दूसरी ओर हम अपने बच्चों को बाहर पढऩे जाने से रोक सकेंगे, जिसका फायदा हमें वित्तीय तौर पर मिलेगा।
पढ़ेंगे-पढ़ाएंगे विदेशी-
इस योजना के तहत 4987 विदेशी छात्रों को भारतीय संस्थानों में उच्च शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं, 1098 विदेशी अध्यापक इन संस्थानों में शिक्षण कराएंगे। विभिन्न देशों के विश्वस्तरीय संस्थानों के साथ मिलकर 208 ऐसे कोर्स कराए जाएंगे, जिनमें दोनों देशों के संस्थानों की भागीदारी हो। इनमें दोनों देशों की यूनिवर्सिटी मिलकर कोर्स को न सिर्फ डिजाइन करेंगी, बल्कि उसको पढ़ाने का तरीका क्या होगा, इसकी स्पष्ट नीति बनाएंगी।
एक लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को मिलेगा योजना का लाभ-
इस योजना से वर्ष 2021-22 के दौरान देशभर के 1,11,709 से ज्यादा विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। इन संस्थानों में अध्यापक व विद्यार्थियों का अनुपात 1:10 रखने का लक्ष्य तय किया गया है। वहीं, सामाजिक सरोकारों से संबंधित 297 तकनीक विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
रिसर्च और इनोवेशन पर रहेगा जोर-
बजट में वैज्ञानिक रिसर्च व इनोवेशन पर अधिक जोर देने की बात करते हुए कहा कि इससे जुड़े कई मास्टर डिग्री और पीएचडी कोर्स जोड़े जाएंगे। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन होगा। इसके लिए 500 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। आने वाले समय में जरूरत को देखते हुए इस नीति में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर पूरा जोर दिया गया है।