कोविड-19 के कारण बच्चों को इन एग्जाम्स के लिए करीब ढाई से तीन महीने का एक्स्ट्रा टाइम मिल गया है। इसमें कॉम्पीटिशन पहले से ज्यादा बढ़ गया है। जो बच्चे अगले अटैम्प्ट के बारे में सोच रहे थे, वे भी समय मिलने से तैयारी करके इस बार में ही रेस में आ गए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चे कोरोना के चलते पहले ही डिप्रेशन में हैं। ऐसे में पेपर टफ आने की उम्मीद काफी कम है, क्योंकि इससे बच्चों पर और भी ज्यादा प्रेशर बढ़ेगा। अब एग्जाम में एक महीने का ही टाइम रह गया है, ऐसे में लास्ट टाइम स्ट्रेटेजी कैसी होनी चाहिए, बता रहे हैं एक्सपर्ट्स
नया टॉपिक स्टार्ट नहीं करें
अगले महीने 18 से 23 जुलाई तक जेईई मेन और 26 जुलाई को नीट एग्जाम आयोजित किए जाएंगे। अब बच्चों को कुछ नया टॉपिक स्टार्ट नहीं करना चाहिए। अब तक जो पढ़ा है, उसे ही रिवाइज करें। स्टूडेंट्स को एक दिन छोड़कर एक दिन मॉक टेस्ट देना चाहिए। हफ्ते में तीन से ज्यादा मॉक टेस्ट भी आपकी परफॉर्मेंस पर नेगेटिव असर डाल सकता है। अक्सर देखने में आता है कि बच्चे ये सोचकर कि हमारी तैयारी स्ट्रॉन्ग होगी, डेली सुबह-शाम मॉक सीरिज की प्रेक्टिस करते हैं। ज्यादा मॉक टेस्ट देने से दिमाग को रिफ्रेश होने का वक्त नहीं मिल पाता है और इससे गलतियां बढ़ जाती हैं। चूंकि अब कॉम्पीटिशन पहले से ज्यादा टफ हो गया है, इसलिए आपको स्पीड के साथ ही एक्यूरेसी भी बढ़ानी होगी।
ट्रेवलिंग का रखें विशेष ध्यान
गत कुछ वर्षों में देखा गया है कि एग्जाम टाइम में एक्सीडेंट के चलते बच्चा पेपर नहीं दे पाया या फिर पेपर में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाया। इस समय में बच्चे अक्सर लापरवाही कर जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि इस वक्त कम से कम ट्रेवल करें और अगर ट्रेवल करना जरूरी है तो पैरेंट्स के साथ ही कहीं आएं-जाएं। टू-व्हीलर से ट्रेवलिंग इस वक्त अधिकतम अवॉइड करें।
एग्जाम टाइम में प्रेशर हैंडलिंग जरूरी
एग्जाम में प्रेशर हैंडलिंग सबसे जरूरी है। अक्सर देखने में आता है कि स्टूडेंट्स नर्वसनेस के चलते आता हुआ क्वेश्चन्स भी नहीं कर पाता। ऐसे में जरूरी है, अपना रुटीन ठीक रखें। आठ घंटे की नींद लें। कई स्टूडेंट्स देर रात तक पढ़ाई करते हैं व सुबह लेट उठते हैं। ये परफॉर्मेंस पर असर डालता है। रात में टाइम से सोएं, सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करें। बॉडी क्लॉक को एग्जाम के अकॉर्डिंग मैनेज करें।