कुमार ने 25 अक्टूबर को लिखे पत्र में एसोसिएशन के अध्यक्ष एम. पी. रविंद्र को तत्काल आईआईएससीएए का कार्य बंद करने और संस्थान के परिसर स्थित अपना कार्यालय एक दिन के भीतर खाली करने को कहा। निदेशक के अनुसार, एसोसिएशन के शीर्ष प्रबंध सदस्यों के बीच विवाद को लेकर को-ऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्ट्रार और पुलिस के पास शिकायतें दर्ज करवाई गई हैं जिससे संस्थान की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है।
कुमार ने पत्र में चेतावनी देते हुए कहा, एसोसिएशन की गतिविधियां बिल्कुल ठीक नहीं रहीं इसलिए उनकी जांच तत्काल करने की आवश्यकता है। लिहाजा एसोसिएशन के सारे कार्यकलापों को रद्द करने का फैसला लिया गया है। इस पत्र के बाद रविंद्र ने एसोसिएशन के करीब 9,000 सदस्यों को सूचित कर दिया कि 27 अक्टूबर 2018 को होने वाली आम बैठक रद्द कर दी गई है।
पदाधिकारियों के आपसी मतभेद की विस्तृत जानकारी का पता नहीं चल पाया है। एसोसिएशन के मुताबिक , प्रबंध समिति के कुछ सदस्यों ने पदाधिकारियों पर वित्तीय अनियमितताओं, रिकॉर्ड में हेर-फेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। आईआईएससीएए प्रबंधन की इस घटना से इसके सदस्य हैरान हैं। लंदन में निवास कर रहे एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, संस्थान के पूर्व छात्र होने के नाते मैं भारत के शीर्ष विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संगठन के भीतर तकरार और मूर्खतापूर्ण कार्य से हैरान हूं।