राष्ट्रपति ने कहा कि हम आज जो निर्णय लेते हैं उसका प्रभाव न सिर्फ हमारे वर्तमान बल्कि भविष्य पर भी पड़ता है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह उद्यमिता और तकनीक का दौर है। युवाओं की आकांक्षाएं बदल रही हैं। ऐसे में, शिक्षण संस्थानों को नवाचार और उत्कृष्टता के साथ आगे बढऩा चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि मेरे लिए उच्च शिक्षा प्राथमिक क्षेत्र है और इसमें सुधार की प्रक्रिया प्रगति पर है। 60 विश्वविद्यालयों को क्रेडिट स्वायत्तता मिली है। 20 संस्थानों को प्रतिष्ठित संस्थान का दर्जा भी दिया गया है। इन संस्थानों के पास संकाय और पाठ्यक्रमों की पसंद में लचीलापन होगा।
सबसे गरीब तबके को न्याय दिलाने के लिए लड़ें
राष्ट्रपति ने अधिवक्ताओं से समाज के सबसे गरीब और कमजोर तबके को न्याय दिलाने के लिए मिशन के साथ लडऩे का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वे भी अधिवक्ता पेशे से जुड़े रहे हैं लेकिन यह उनके लिए सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जुनून था। इस मौके पर राज्यपाल वजूभाई वाळा, मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, शीर्ष अदालत के जज अब्दुल नजीर, विनीत शरण, मोहन शंतनगौडऱ, महान्यायवादी के के वेणुगोपाल भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने आर एल विधि महाविद्यालय में प्लेटिनम जुबली भवन, वाळा ने जस्टिस ई एस वेंकट रमय्या और जस्टिस वी एस मलिमठ के चित्र, जस्टिस मिश्रा ने अधिवक्ता एम के नाम्बियार की प्रतिमा और मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने के.के. वेणुगोपाल सभागार का उद्घाटन किया।