बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जो अधिसूचना जारी की थी उससे पिछड़े तथा दलित और आदिवासी शिक्षकों के आरक्षण में विसंगतियां आ गयी थीं और उन्हें कम प्रतिनिधित्व मिल रहा था या बिल्कुल ही नहीं मिल रहा था,इसलिए सरकार ने विश्वविद्यालय को इकाई मानते हुए दो सौ अंको वाला रोस्टर लागू करने का फैसला किया और इसके लिए अध्यादेश लाने फैसला किया गया।
तेरह अंकों वाली रोस्टर प्रणाली लागू होने से आरक्षित पदों में भारी कमी हो जा रही थी जिससे उनकी नौकरी से खतरे में पड़ गयी थी। यह देखते हुए गत एक साल से शिक्षक आंदोलनरत् थे और वे समय -समय पर विरोध भी कर रहै थे। इलाहाबाद उच्च न्यायलय के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था तब सरकार ने उसे चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दी था।
इसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मामले में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी लेकिन गत दिनों उच्चतम न्यायालय ने इसे भी खारिज कर दी थी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने दो दिन पहले ही पत्रकारों को बता दिया था कि सरकार दो सौ अंक वाली रोस्टर प्रणाली लागू करेगी और शिक्षकों के साथ न्याय करेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि दो दिन में न्याय मिल जाएगा। इससे पहले संसद में भी उन्होंने कहा था कि सरकार इस बारे में अध्यादेश लायेगी।