13 अप्रेल 1944 को गुजरात के मेहसाना में एक सामान्य किसान के परिवार में जन्मे करसनभाई ने रसायन शास्त्र विषय में बीएससी की थी। इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद स्थित न्यू कॉटन मिल्स में बतौर लैब असिस्टेंट नौकरी करना शुरू कर दिया था। जब वह यह नौकरी कर रहे थे तब उनका मन कुछ बड़ा करने का था। इसी दौरान उन्हें विचार आया कि क्यों न कोई ऐसा डिटर्जेंट पाउडर तैयार किया जाए, जो कि साबुन जैसी बेहतर धुलाई कर सके और कीमत में मौजूदा डिटर्जेंट पाउडर और साबुन से कम हो। बस, फिर उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया और उन्होंने अपने लैब के अनुभव के आधार पर ऐसा पाउडर तैयार कर लिया।
अब उन्होंने इस पाउडर को पैकेट में भरकर रोजाना साइकिल से नौकरी से आते-जाते समय बेचना शुरू कर दिया। उस समय उन्होंने इसकी कीमत तीन रुपए प्रति किलो रखी थी। जबकि उस समय के अन्य डिटर्जेंट इससे कई गुना महंगे थे। लोगों ने इसे आजमाया तो उन्हें यह पाउडर अच्छा लगा। डिमांड के चलते १९६९ में उन्होंने नौकरी छोडक़र एक छोटी सी फैक्ट्री लगा ली। कुछ एम्प्लॉइ और मशीनों के साथ उन्होंने ‘निरमा’ नाम से इस पाउडर को लॉन्च कर दिया।
पाउडर का नाम उन्होंने अपनी बेटी के नाम पर रखा था, जिसकी एक एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी। धीरे-धीरे यह पाउडर सभी को पसंद आने लगा। उन्होंने अच्छी गुणवत्ता, कम लागत और कम कीमत पर फोकस रखा। कीमत कम होने से यह घर-घर तक पहुंच गया और वॉशिंग पाउडर का पर्याय बन ग या।