आजाद ने महिलाओं की शिक्षा, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा और 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा की वकालत की थी। उनका दृढ़ विश्वास था कि मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए। वर्ष 1949 में सेंट्रल असेंबली में, उन्होंने आधुनिक विज्ञान और ज्ञान में शिक्षा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा का कोई भी कार्यक्रम उचित नहीं हो सकता है अगर यह सामाज की आधी आबाद यानि महिलाओं की शिक्षा और उन्नति पर पूरा ध्यान नहीं देता है।
एक स्वतंत्रता सेनानी, उन्होंने ब्रिटिश राज की आलोचना करने के लिए अल हिलाल (Al-Hilal) नामक उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की। उन्हें एक शिक्षावद् और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके योगदान के लिए 1992 में भारत रत्न (Bharat Ratan) से सम्मानित किया गया था। संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी के साथ साथ भारतीय संस्कृतिक संबंध परिषद सहित अधिकांश सांस्कृतिक शिक्षाविदों की स्थापना का श्रेय आजाद हो ही जाता है। पहला आईआईटी (IIT), आईआईएससी (IISc), स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्टिकटेक्चर (School of Planning and Architecture) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) की स्थापना उनके कार्यकाल में ही की गई थी।