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एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में तीसरी कक्षा में पढऩे वाले कुल स्टूडेंट्स में से केवल एक चौथाई ही शॉर्ट स्टोरी पढऩे और समझने या फिर टू-डिजिट नंबर्स को आपस में सब्ट्रैक्ट करने में समक्षम हैं। बिल व मेलिंडा गेट्स की फाउंडेशन की ओर से पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार के अपने नेशनल असेस्मेंट सर्वे में भी यह कहा गया है कि ज्यादातर बच्चों का लर्निंग लेवेल काफी लो है। यह चिंताजनक विषय है। स्टूडेंट्स से उम्मीद की जाती है कि वे तीसरी कक्षा में आने के बाद कुछ कुछ चीजें समझने लगते हैं, हालांकि अर वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो इसमें उनके टीचर्स या फिर शिक्षा प्रणाली का दोष हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है - तीसरी क्लास में पढऩे वाले केवल एक चौथाई स्टूडेंट्स ही चंद पंक्तियों वाली शॉर्ट स्टोरी को पढऩे व समझने में सक्षम हैं। इस रिपोर्ट के लिए वर्ष २०१७ की एजुकेशन रिपोर्ट के एनुअल स्टेटस का डेटा इस्तेमाल किया गाय है। बिल व मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन रिपोर्ट में कहा गया है कि अब जब किस्मत से यह पता चल गया है कि समस्या क्या है, तो अब भारत और भारत से बाहर लर्निंग पर जोर दिया जा सकेगा।
रिपोर्ट के अनुसार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूम रिसोर्स डेवलपमेंट और राज्य सरकारें अब लर्निंग को एजेंडा बना रही हैं। वर्ल्ड बैंक की २०१८ वलर्ड डिपार्टमेंअ रिपोर्ट भी एजुकेशनल क्वालिटी पर ही फोकस है। बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने मंगलवार को दूसरी वार्षिक गोलकीपर्स डेटा रिपोर्ट जारी करते हुए वैश्विक गरीबी हटाने के लिए डेमोग्राफिक ट्रेंड्स की तरफ ध्यान आकर्षित किया। जहां पिछले बीस सालों में विश्वभर में करीब एक बिलियन लोगों ने खुद को गरीबी से बाहर निकाला है, वहीं अफ्रीका जैसे गरीब देशों में बढ़ती आबादी इस समस्या को और बड़ा बनाने का काम कर रही है।
Published on:
19 Sept 2018 04:18 pm
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