पीएम मोदी ने कहा कि ये सच है कि 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। ऐसे में हर बारीकी और सवालों पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति को नया आकार देने से पहले दो सवालों को पर गंभीर रूप से विचार किया था।
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पहला सवाल था, क्या नई शिक्षा नीति भविष्य में क्रिएटिविटी, क्यूरोसिटी और कमिटमेंट मेकिंग पर लोगों को बांध कर रख पाएगी? दूसरा सवाल था. क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था Empower ( सशक्तिकरण) करती है?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी करने में आसानी होगी. कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था. कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी. अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डेवलेप किया गया है.”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का भेदभाव है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।