scriptनिजी स्कूलों में 20 लाख सीटें आरक्षित, भरीं सिर्फ 20 फीसदी | Private School has 20 lakh seats reserved, filled only 20 percent | Patrika News

निजी स्कूलों में 20 लाख सीटें आरक्षित, भरीं सिर्फ 20 फीसदी

locationजयपुरPublished: Dec 24, 2018 04:50:30 pm

शिक्षा का अधिकार: गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा के बारे में कई अभिभावकों को जानकारी ही नहीं

RTI,Education,govt school,School,student,education news in hindi,

education news in hindi,education, govt school, RTI, school, student

देश में शिक्षा के अधिकार के लिए वर्षों से प्रयास चलते आ रहे हैं। हालांकि आंकड़े हैरान करने वाले हैं। विधायी अधिकार समूह इंडस एक्शन द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों के लिए निजी स्कूलों में प्रत्येक वर्ष 20 लाख से अधिक सीटें आरक्षित होती हैं, लेकिन इसमें से केवल 20% ही भरी जाती हैं। इंडस एक्शन राज्य और केंद्र सरकारों के साथ मिलकर विधायी अधिकारों के कार्यान्वयन पर काम करती है।
क्या है कम नामांकन के कारण
इडब्ल्यूएस बच्चों के नामांकन के गिरते ग्राफ का प्रमुख कारण स्कूल की भागीदारी की कमी रही है। हालांकि इस तरफ चिंता जताते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में सभी राज्यों को पत्र भेजकर इस मुद्दे पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। चूंकि शिक्षा पर काम करना राज्य का विषय है इसलिए मंत्रालय सिर्फ निगरानी ही कर सकता है राज्यों को नियम अपनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
इंडस एक्शन की प्रमुख रणनीतिकार कनिका वर्मा के मुताबिक निजी स्कूलों में इडब्ल्यूएस बच्चों के हो रहे कम नामांकन का प्रमुख कारण यह है कि स्कूल यह सोचते हैं कि इडब्ल्यूएस बच्चे अन्य दूसरे बच्चों के साथ तालमेल कैसे बिठा पाएंगे? वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में अभिभावकों को पता ही नहीं है कि उनके बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिल भी सकता है। इतना ही नहीं धांधली के कारण भी इडब्ल्यूएस बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस साल की शुरुआत में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया था जिसने अपने बेटे को एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए फर्जी इडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनवाया था।
नामांकन के गिरते आंकड़े
भारत सरकार के लिए आधिकारिक डेटा संग्रह करने वाली संस्था एकीकृत जिला सूचना शिक्षा प्रणाली (यू-डीआइएसइ) के मुताबिक आरटीइ अधिनियम लागू होने के पहले साल 2013-14 में 5.1 लाख, 2014-15 में 4.8 लाख नामांकन हुए। 2015-16 में आंकड़ा बढ़कर 6 लाख पहुंच गया। 2016-17 में नामांकन फिर 4.3 लाख पर पहुंच गया।
नामांकन में राजस्थान शीर्ष पर
देश स्तर पर आंकड़ों की बात करें तो राजस्थान में सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के दाखिले हुए हैं। राज्य शिक्षा की सालाना रिपोर्ट 2014 के मुताबिक 6-14 साल के बच्चों के दाखिले में राजस्थान 42.1% के साथ शीर्ष पर है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यही आंकड़ा 30.8% है, 36.9% के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो