इडब्ल्यूएस बच्चों के नामांकन के गिरते ग्राफ का प्रमुख कारण स्कूल की भागीदारी की कमी रही है। हालांकि इस तरफ चिंता जताते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में सभी राज्यों को पत्र भेजकर इस मुद्दे पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। चूंकि शिक्षा पर काम करना राज्य का विषय है इसलिए मंत्रालय सिर्फ निगरानी ही कर सकता है राज्यों को नियम अपनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
भारत सरकार के लिए आधिकारिक डेटा संग्रह करने वाली संस्था एकीकृत जिला सूचना शिक्षा प्रणाली (यू-डीआइएसइ) के मुताबिक आरटीइ अधिनियम लागू होने के पहले साल 2013-14 में 5.1 लाख, 2014-15 में 4.8 लाख नामांकन हुए। 2015-16 में आंकड़ा बढ़कर 6 लाख पहुंच गया। 2016-17 में नामांकन फिर 4.3 लाख पर पहुंच गया।
देश स्तर पर आंकड़ों की बात करें तो राजस्थान में सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के दाखिले हुए हैं। राज्य शिक्षा की सालाना रिपोर्ट 2014 के मुताबिक 6-14 साल के बच्चों के दाखिले में राजस्थान 42.1% के साथ शीर्ष पर है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यही आंकड़ा 30.8% है, 36.9% के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।