इसीलिए की कटौती
आधिकारिक जानकारी के अनुसार अंकों की बाध्यता बजट की कमी के कारण लगाई गई है। दरअसल, ओबीसी वर्ग के सभी विद्यार्थियों को छात्रवृति देने के बजाए केवल 17 श्रेणियों में आने वाले विद्यार्थियों से ही छात्रवृति के आवेदन लिए जा रहे थे। इन श्रेणियों के 80-90 हजार विद्यार्थी आवेदन कर रहे थे। इन्हें छात्रवृति देने के लिए करीब 125-130 करोड़ का बजट जरुरी था, सरकार इसका आधा ही बजट दे रही थी। केंद्र सरकार से 50 करोड़ व राज्य सरकार से 20 करोड़ यानी की कुल 70 करोड़ का बजट ओबीसी छात्रवृति के लिए आ रहा था। बजट की कमी के कारण नई बाध्यता जोड़ी गई है। अब विभाग ने 17 श्रेणियों में भी नंबरों की बाध्यता लगाई है। 60 प्रतिशत अंक लाने वालों को भी 17 श्रेणियों के अनुसार छात्रवृति दी जाएगी।
साल 2015-16 में बनाई गई थी 17 श्रेणियां
गौरतलब है कि इससे पहले पूर्व वर्ष 2015-16 में विभाग ने बाध्यता जोड़ी थी। उस समय ओबीसी वर्ग के लिए गरीब, बीपीएल, विकलांग, विधवा-परित्यक्ता के बच्चे जैसी १७ श्रेणियां बना दी गईं। इससे पहले तक अकेले ओबीसी वर्ग से 2.5-3 लाख आवेदन आते थे। श्रेणियों की बाध्यता के बाद आवेदन घटकर 80-90 हजार रह गए।
वर्जन
– जितने विद्यार्थी आवेदन कर रहे थे, उन सभी को छात्रवृति नहीं मिल पा रही थी। अब 60 प्रतिशत नंबर लाने वालों को ही छात्रवृति दी जाएगी।
– सांवरमल वर्मा, निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग