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शिक्षा

राजस्थान विश्वविद्यालय की पहली कट आफ सूची जारी, जानिए क्या रही कट ऑफ परसेंटेज

कॉमर्स कॉलेज ने सबसे पहले सूची जारी की

जयपुरJun 19, 2019 / 02:38 pm

सुनील शर्मा

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राजस्थान विश्वविद्यालय की पहली कट आफ सूची आज जारी हो गई है। कॉमर्स कॉलेज ने सबसे पहले सूची जारी की है। प्रवेश सूची में बीकॉम पास कोर्स प्रथम वर्ष की सूची के अनुसार आरबीएससी बोर्ड सामान्य की कट आफ 84 प्रतिशत रही वहीं सीबीएसई की कट आफ रही 92.60 प्रतिशत रही। तो ओबीसी वर्ग में आरबीएसई की 75 तो सीबीएसई की 85.40 प्रतिशत, एसटी वर्ग में आरबीएसई की 53.80 तो सीबीएसई की 65 प्रतिशत,वहीं एससी वर्ग में आरबीएसई की 66.8 तो सीबीएसई की 77.6 प्रतिशत रही।

बीबीए पाठयक्रम में आरबीएसई की कट आफ 79 तो सीबीएसई की रही 89.4 प्रतिशत तो ओबीसी वर्ग में आरबीएसई की 76.4 तो सीबीएसई की 82 प्रतिशत, एसटी वर्ग में आरबीएसई की 49.6 तो सीबीएसई की 55.5 प्रतिशत, वहीं एससी वर्ग में आरबीएसई की 60.8 तो सीबीएसई की 64.2 प्रतिशत रही। साथ ही बीसीए पाठयक्रम में आरबीएसई की कट आफ 78.2 तो सीबीएसई की रही 84 प्रतिशत रही।

ओबीसी वर्ग में आरबीएसई की 72.2 तो सीबीएसई की 76.8 प्रतिशत, एसटी वर्ग में आरबीएसई की 60 तो सीबीएसई की 62.4 प्रतिशत, वहीं एससी वर्ग में आरबीएसई की 50 तो सीबीएसई की 59.8 प्रतिशत रही।

इकोनॉमिक वीकर सेक्शन (EWS) के आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
आर्थिक पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को एडमिशन में लाभ मिलेगा या नहीं, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। दरअसल यूनिवर्सिटी की ओर से महारानी, महाराजा, कॉमर्स और राजस्थान कॉलेज को इकोनॉमिक वीकर सेक्शन (EWS) को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। कॉलेज प्रिंसिपल्स का कहना है अभी तक यूनिवर्सिटी की ओर से कोई सर्कुलर नहीं आया है। कॉलेजों की ओर से पिछले साल के पैटर्न पर ही कटऑफ लिस्ट जारी करने पर काम किया जा रहा है।

सीटें बढ़ाने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने तो आर्थिक पिछड़ों को आरक्षण देते हुए केंद्र के सभी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में दस फीसदी सीटें बढ़ा दी थी। लेकिन प्रदेश में अभी सीटें बढ़ाने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वहीं यूनिवर्सिटी की ओर से जारी प्रोस्पेक्टस में भी इकोनॉमिक वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) को लेकर खास जानकारी नहीं दी गई थी। प्रोस्पेक्टस में यूनिवर्सिटी ने सरकार के नियमों के अनुसार लाभ देने की बात कहकर इतिश्री कर ली थी। ऐसे में सरकार और यूनिवर्सिटी की ओर से हो रही देरी से आर्थिक पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को नुकसान होगा।

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