डोटासरा ने बताया कि परीक्षा के लिए विज्ञान वर्ग में दो लाख 39 हजार 767 परीक्षार्थी पंजीकृत किए गए थे जिनमें से दो लाख 37 हजार 305 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। इनमें दो लाख 18 हजार 232 परीक्षार्थी उत्तीर्ण रहे। उत्तीर्ण विद्यार्थियों का कुल परीक्षा परिणाम 91.96 प्रतिशत रहा जो गतवर्ष की तुलना में 1.22 प्रतिशत कम है। गत वर्ष यही परिणाम 92.88 प्रतिशत रहा था। वहीं, 74 हजार 881 लड़कियों ने परीक्षा दी थी। लड़किेयों ने इस साल भी शानदार प्रदर्शन करते हुए लड़कों को पीछे छोड़ दिया। लड़कियों का पास प्रतिशत 94.90 रहा, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 90.61 रहा।
उन्होंने बताया कि जयपुर के यश शर्मा ने इस परीक्षा में 95.65 प्रतिशत अंक हासिल करके प्रथम स्थान किया है। शिक्षा मंत्री डोटासरा ने परिणाम जारी करते हुए इसे ऐतिहासिक एवं गौरवशाली पल बताया और कहा कि कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में बच्चों के भविष्य को अंधकार में होने से बचाने के लिए यह चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसे बोर्ड प्रबंधन ने सभी के सहयोग से पूरा कर दिखाया। राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य बन गया जिसने कम समय में शानदार तरीके से बच्चों को संक्रमण से बचाते हुए परीक्षाएं कराई और महज 18 दिनों में ही परिणाम जारी कर दिया।
पत्रकारों के सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य की स्कूलें नहीं खुलने तक फीस स्थगित रहेगी। यदि कोई स्वेच्छा से देना अथवा लेना चाहे तो उसे हम नहीं रोक सकते, लेकिन सरकार ने फैसला किया है कि जब तक राज्य की स्कूलें नहीं खुलती और पढ़ाई चालू नहीं होती तब तक कोई भी स्कूल प्रबंधन फीस नहीं ले सकता। आगे हालातों के अनुसार निर्णय लेकर इस संबंध में गाइडलाइन जारी की जाएगी। एक अन्य सवाल के जवाब में पाठ्यक्रम संशोधन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि राज्य में एनसीआरटी पाठ्यक्रम (NCERT Syllabus) लागू कर दिया गया है।
रीट के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जल्दी ही इस पर भी फैसला लेकर भर्ती का ऐलान किया जाएगा। वर्तमान में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) काल के चलते इसमें विलंब अवश्य हो रहा है लेकिन सरकार रोजगार देने के लिए वचनबद्ध है। बारहवीं विज्ञान का परीक्षा परिणाम पूरी जिम्मेवारी के साथ समय पर घोषित करने के लिए शिक्षा मंत्री ने बोर्ड प्रबंधन की तारीफ की।