वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार, पिछले पांच सालों में अकेले भारत में रेल संबंधी दुर्घटनाओं में लगभग 100 हाथियों की मौत हो चुकी है। अपने बच्चों के साथ धीमी गति से आगे बढ़ते हुए हाथी उनकी तरफ तेज रफ्तार से आगे आने वाली रेलगाड़ी से बचने में असमर्थ हो जाते हैं। इस साल ऐसी दुर्घटनाओं में अब तक 26 हाथियों की मौत हो चुकी है। हाल ही में ओडिशा के क्योंझर में एक मालगाड़ी की टक्कर से एक हाथी की मौत हो गई थी।
सुब्रत कर पिछले लगभग एक दशक से और अब देहरादून में वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया के सहयोग से एक सेंसर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। शोध की फंडिंग रेलवे एंड डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी कर रहा है। कर ने सेंसर का परीक्षण अब तक सिर्फ आईआईटी-डी परिसर में ही किया है और परिणाम संतोषजनक रहे हैं। सेंसर इन-बिल्ट डिवाइसेज के माध्यम से कुछ दूरी से ही हाथियों की गतिविधियों को डिटेक्ट कर लेता है। उनकी गतिविधियां डिटेक्ट करते ही यह नजदीकी स्टेशन पर सिग्नल भेज देता है जो उधर से गुजरने वाली रेलगाड़ी के चालक को गाड़ी धीमी करने या रोकने का संदेश भेज देता है।
कर ने कहा, हम ऐसे संवेदनशील स्थानों पर सेंसर लगाएंगे, जहां से हाथियों की आवाजाही होती रहती है। ये सेंसर उन्हें बॉडीरे, कैमरे और सेंसर के डिटेक्ट करेंगे। इसके बाद हम यह सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन पर भेजेंगे और वहां से रेलगाड़ी के चालक को सूचित किया जाएगा। कर इस डिवाइस पर हालांकि 2008 से काम कर रहे हैं, लेकिन उनके शोध ने 2014 के बाद तब गति पकड़ी, जब रेलवे ने उन्हें 30 लाख रुपये की मदद की।