उन्होंने शिक्षण संस्थानों को स्कूलों में नैतिक विज्ञान की कक्षाओं का संचालन किए जाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में मूल्यों की कमी पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए बुद्धिमता, क्षमता और आचार-व्यवहार संपन्न उत्तरदायी सार्वजनिक प्रतिनिधि चुनने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आगे कहा कि भारत को ऐसा स्वच्छ छवि का नेता चाहिए जिसका गरीबी, निरक्षरता, अहिंसा और अन्य सामाजिक बुराइयों से संघर्ष करने का रिकॉर्ड रहा हो। प्रतिनिधियों को लोगों की आवश्यकता और उनकी समस्याओं के निदान को प्रति समर्पित होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे।
उपराष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति के संरक्षण और सुरक्षा के लिए सकारात्मक कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण के प्रति ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने के लिए सरकारों, सार्वजनिक प्रतिनिधियों तथा स्काउट और गाइड के युवा लोगों को काम करना चाहिए। कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई रुदाभाई वाला, राज्य के सहकारिता मंत्री वंदेपा कसमपुर तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और भारत और स्काउट गाइड तथा वृहद बेंगलूरु महानगर पालिक संघ के सदस्य उपस्थित थे।