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विश्वविद्यालयों हेतु नया पाठ्यक्रम (कॅरिकुलम) तैयार, अत्यधिक पुराने चुके पाठ्यक्रम बदले जायेंगे

उच्च शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए बिहार के विश्वविद्यालयों हेतु नया पाठ्यक्रम (कॅरिकुलम) तैयार होगा। यह पाठ्यक्रम राजभवन की आेर से…

Dec 22, 2017 / 08:43 am

Deovrat Singh

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उच्च शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए बिहार के विश्वविद्यालयों हेतु नया पाठ्यक्रम (कॅरिकुलम) तैयार होगा। यह पाठ्यक्रम राजभवन की आेर से तैयार कराया जाएगा। इसमें योजना में सहयोग के लिए पटना विश्वविद्यालय के अनुभवी शिक्षक प्रतिनियुक्त किए जाएंगे।
राज्यपाल सह कुलाधिपति सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राजभवन में हुई कुलपतियों की पहली मासिक बैठक में राज्य में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के आधार पर नया पाठ्यक्रम तैयार करने का निर्णय लिया गया। बैठक में एकसुर से सबने स्वीकारा कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम अत्यधिक पुराने हो गए हैं। नया पाठ्यक्रम बनाने के लिए पटना विश्वविद्यालय के कुलपति को सक्षम एवं अनुभवी अध्यापकों को प्रतिनियुक्त करने को कहा गया। ये शिक्षक यूजीसी तथा अन्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए नया पाठ्यक्रम तैयार करेंगे। नया पाठ्यक्रम शीघ्र बनाकर चरणबद्ध तरीके से अन्य सभी विश्वविद्यालयों में भी लागू किया जाएगा।
उच्च शिक्षा का समग्र विकास
बैठक को संबोधित करते हुए राज्यपाल मलिक ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा में सुधार की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है और चरणबद्ध रूप से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को बैठकों में लिए गए निर्णयों का शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चत करना चाहिए, ताकि राज्य में उच्च शिक्षा का समग्र विकास हो सके। बैठक में ‘एकेडमिक कैलेंडर’ को मार्च 2018 तक तैयार कर सभी विश्वविद्यालयों को प्रस्तुत कर देने का भी आदेश दिया गया। कुलपतियों को यह भी कहा गया कि विलम्बित परीक्षाओं को शीघ्र संचालित कर हर हालत में सत्र को अगले वर्ष से नियमित करने की कोशिश करें।
विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक हाजिरी
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक पद्धति से उपस्थिति सुनिश्चित कराने की भी समीक्षा की। अधिकतर विश्वविद्यालयों में योजना का कार्यान्वयन तेजी से शुरू हो गया है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय मुख्यालय एवं सभी स्नातकोत्तर विभागों में मार्च 2018 तक तथा सभी महाविद्यालयों में जून 2018 तक बायोमेट्रिक के जरिए उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करा दी जाएगी।

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