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सूरत में खिला कमल बीजेपी कैंडिडेट मुकेश दलाल की हुई निर्विरोध जीत, रचा इतिहास

लोकसभा चुनावों के माहौल के बीच देश की राजनीति काफी गरमा रही है।

इसी बीच गुजरात से सूरत की लोकसभा सीट पर बेहद दिलचस्प मामला हो गया है। बीजेपी के गढ़ सूरत में उनके उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध जीत हासिल हो गई। चुनावों में पहली बार बीजेपी के किसी उम्मीदवार को ऐसी जीत मिली है।

कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन हुआ रद्द तो अन्य 8 निर्दलीयों ने वापस लिए अपने नाम, जिससे सूरत में जीत के साथ लोकसभा चुनाव में खुला पार्टी का खाता।

सूरतApr 23, 2024 / 03:12 pm

Khushi Sharma

जीत के बाद चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट लेते ह्ए

जीत के बाद चुनाव आयोग से सर्टिफिकेट लेते ह्ए

गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर मतदान तीसरे चरण में यानी 7 मई को है। तीन दिन बाद लोकसभा चुनाव की दूसरे चरण की वोटिंग भी होनी है।  

गुजरात की सभी सीटों के वोटिंग के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 19 अप्रैल थी और नामांकन वापस लेने का तारीख 22 अप्रैल। राज्य की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी समेत कुल 11 प्रत्याशियों ने अपना पर्चा भरा था।
मगर अब 4 जून को आने वाले चुनाव के नतीजों से पहले ही एक बड़ी हलचल हो गई है।

लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग चरणों में वोटिंग का जारी दौर में मतदान से पहले ही भाजपा ने एक सीट जीत ली। लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खाता बिना वोटिंग के ही खुल गया।
सूरत लोकसभा सीट पर अब चुनाव ही जरूरत ही नहीं है। सूरत में बीजेपी के मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत हो गई है। सूरत से पार्टी के उम्मीदवार मुकेश दलाल पहले बीजेपी सांसद बने हैं। जिन्होंने लोकसभा चुनावों में निर्विरोध जीत हासिल की है। सूरत से निर्विरोध जीत हासिल करके बीजेपी ने इतिहास रच दिया है।
  ऐसा क्या हुआ कि वोटिंग बगैर ही भाजपा जीत गई?

बीजेपी से मुकेश दलाल, कांग्रेस के निलेश कुम्भानी, बसपा से प्यारेलाल भारती, सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी से अब्दुल हामिद खान, ग्लोबल रिपब्लिकन पार्टी से जयेश मेवाडा, लोग पार्टी से सोहेल खान ने नामांकन किया था। इनके अलावा अजीत सिंह उमट, किशोर डायानी, बारैया रमेशभाई और भरत प्रजापति निर्दलीय चुनावी मैदान में थे।
  निर्वाचन अधिकारी ने सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी के नामांकन गवाहों के हस्ताक्षर में गड़बड़ होने के बाद रद्द कर दिया। कुंभानी का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी रद्द कर दिया। नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन यानी सोमवार को आठ उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
कांग्रेस के उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने के बाद बाकी बचे निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपनी उम्मीदवारी वापिस ले ली। जिसके कारण बीजेपी जीत गई। यह पहली बार है जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कोई सांसद निर्विरोध चुना गया हो। उधर, कांग्रेस ने इसे मैच फिक्सिंग बताया।
  अंतिम मौके तक भी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्यारे लाल भारती मैदान में बचे थे। नाम वापसी की समय-सीमा खत्म होने से ठीक एक घंटा पहले उन्होंने भी नाम वापस ले लिया।

 चुनाव आयोग ने उन्हें जीत का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया है। जीत हासिल करने के बाद मुकेश दलाल ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल से आशीर्वाद लिया।
 बीजेपी को गढ़ में मिली जीत

  सूरत लोकसभा सीट पर 1989 से ही बीजेपी का कब्जा रहा है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई यहां से 5 बार सांसद रहे थे। वर्तमान में पार्टी को उसके अभेद्य गढ़ में निर्विरोध जीत मिली है। गुजरात में बीजेपी सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों से पार्टी सभी 26 की 26 सीटें जीती है।
 गुजरात में बीजेपी उम्मीदवार की निर्विरोध जीत ऐसे वक्त पर हुई जब राज्य में पार्टी को क्षत्रिय समाज के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत ने कांग्रेस और आप के इंडिया अलायंस को बड़ा झटका दिया है। आप ने गुजरात में सूरत के रास्ते ही कदम रखा था।
 कांग्रेस के दोनों कैंडिडेट के नामांकन फॉर्म कैंसल

कुंभानी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया था। सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी अपने तीन प्रस्तावकों में से एक को भी चुनाव अधिकारी के सामने पेश नहीं कर पाए, जिसके बाद उनका नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया। कुंभाणी के नामांकन फॉर्म में हस्ताक्षर में गड़बड़ी को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी अमान्य कर दिया गया, जिससे कांग्रेस सूरत सीट के लिए चुनावी मैदान से बाहर हो गई।
कांग्रेस का भाजपा पर लगाया आरोप

कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि नीलेश कुंभानी का नामांकन भाजपा के इशारे पर रद्द किया गया। पार्टी ने कहा कि वह इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी।

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